Railway Land Encroachment : हल्द्वानी में रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने के हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
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Railway Land Encroachment : हल्द्वानी में रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने के हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

Railway Land Encroachment : उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने के हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है. इस मामले में 7 फरवरी को फिर सुनवाई होगी. 

Railway Land Encroachment :

Railway Land Encroachment in Haldwani : हल्द्वानी में रेलवे की 129 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण को हटाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल हाईकोर्ट के अतिक्रमणकारियों को हटाने के आदेश पर रोक लगा दी है.   सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इस मामले में सुनवाई की. याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील गोंजोल्वेस ने दलीलें रखीं. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल अतिक्रमणकारियों को हटाने की कार्रवाई रोकते हुए कहा कि उनके लिए अलग इंतजाम किए जा सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तराखंड सरकार को इन लोगों के पुनर्वास (rehabilitation) के लिए इंतजाम करने होंगे. तब तक हाईकोर्ट के आदेश पर रोक कायम रहेगी. साथ ही तब तक कोई भी नया निर्माण भी उस इलाके में नहीं होगा. अतिक्रमणकारियों को हटाने की ये कार्रवाई 10 जनवरी को शुरू होने वाली थी. इसका यहां बस्तियों में रह रहे लोग विरोध कर रहे थे. समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी इसका विरोध कर रही थी. 

जस्टिस सजंय किशन कौल और जस्टिस ए एस ओक की बेंच ने सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ASG से कहा, आपको इस समस्या का व्यवहारिक हल देखना होगा. जमीन पर दावे के विभिन्न पहलू हैं. कोर्ट ने कहा कि उनके दस्तावेजों को भी देखा जाए, जिनके बिना पर वो वहां के निवासी होने का दावा कर रहे हैं. आपको लगता है कि ये रेलवे की जमीन है तो आप ये भी सुनिश्चित करें कि आगे वहां कोई अवैध निर्माण आगे से न हो.

ASG भाटी ने कोर्ट को बताया कि HC में कैसे मामले की शुरुआत हुई थी, अवैध के खनन आरोप सामने आने के बाद . जज ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की ये भी शिकायत है मानवीय पहलू से भी आप इसे देखें. जस्टिस कौल ने कहा, सभी लोगों को एक नज़र से नहीं देखा जा सकता. मानवीय पहलू से भी हमे इसे देखना चाहिए. ज़मीन भले ही आपकी हो, पर पुर्नवास की व्यवस्था होनी चाहिए. कोर्ट ने कहा,50 साल से ज़्यादा वक़्त से लोग रहे हैं. उनके पुनर्वास की व्यवस्था के बारे में विचार होना चाहिए. इससे पहले कोर्ट के पूछने पर ASG ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि सीमांकन किया गया था. बिना सीमांकन के इसे अवैध कब्जा नहीं करार दिया गया है.

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