यशपाल आर्य के जाने के बाद डैमेज कंट्रोल में जुटी BJP, नड्डा-बलूनी से मिले हरक और काऊ, क्या हुई डील?
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यशपाल आर्य के जाने के बाद डैमेज कंट्रोल में जुटी BJP, नड्डा-बलूनी से मिले हरक और काऊ, क्या हुई डील?

पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके बेट विधायक संजीव आर्य के कांग्रेस में शामिल होने के बाद से भाजपा में पुराने कांग्रेसियों को लेकर नई बहस को जन्म दे दिया है. इनमें कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा है.

 हरक सिंह रावत (L), उमेश शर्मा काऊ (R).

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले सियासी गलियारों में हलचल तेज है. पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके बेट विधायक संजीव आर्य के कांग्रेस में शामिल होने के बाद से भाजपा में पुराने कांग्रेसियों को लेकर नई बहस को जन्म दे दिया है. इनमें कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा है. दरअसल, कई मौकों पर ये दोनों नेता भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि चुनावी साल में बागियों को भाजपा बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है. 

आर्य के कांग्रेस में शामिल होने के बाद केंद्रीय नेतृत्व हुआ अलर्ट 
पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके विधायक बेटे संजीव आर्य के कांग्रेस में शामिल होने के बाद से भाजपा अलर्ट मोड में है. आर्य के साथ विधायक उमेश काऊ के भी कांग्रेस में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे थे. बदली हुई परिस्थितियों के बीच भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत से बातचीत की थी. उसके बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की ओर से हरक और काऊ को मंत्रणा का बुलावा गया. 

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दिल्ली पहुंचा था काऊ का कार्यकर्ताओं से विवाद 
दरअसल उमेश शर्मा काऊ की पहले भी अंदरूनी लड़ाई सामने आ चुकी है. रायपुर विधानसभा क्षेत्र में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत के सामने कार्यकर्ताओं के साथ विवाद हुआ. मामले ने इतना तूल पकड़ा कि यह विवाद दिल्ली तक जा पहुंचा. देहरादून लौटने पर भी उमेश शर्मा काऊ का पारा कम नहीं हुआ. उन्होंने अपने स्तर के संगठन से फैसला लेने की बात कही. इसके बाद काऊ के कांग्रेस में जाने के कयास शुरू हो गए. 

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हरक सिंह पर भी भाजपा की नजरें 
इसके अलावा हरक सिंह रावत को भी भाजपा साधने में जुटी हुई है. वह भी पार्टी के लिए कई बार मुसीबतें खड़ी कर चुके हैं. इस बार चुनाव न लड़ने की जिद पर अड़े रावत को भाजपा से नाराजगी के तौर पर देखा जा रहा है. बता दें, कांग्रेस में बगावत करने वालों का नेतृत्व हरक सिंह रावत ने ही किया था. आर्य के कांग्रेस में जाने के बाद से भाजपा उनका मन टटोलने में जुटी है. प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने हरक सिंह के साथ नए समीकरणों पर चर्चा की, इस मुलाकात के सियासी गलियारों में कई मायने निकाले जा रहे हैं. 

काऊ ने किया इनकार
शनिवार को दिल्ली में शीर्ष नेताओं से मुलाकात के बाद लौटे विधायक उमेश शर्मा काऊ ने बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ मुलाकात के दौरान राज्य में दोबारा सरकार बनाने को लेकर चर्चा हुई. राज्य में पार्टी को मजबूत करने और 60 पार के लक्ष्य को हासिल करने को लेकर बातचीत हुई. 

वहीं, उन्होंने मंत्री बनने की संभावनाओं से इनकार किया. उन्होंने कहा कि अंशकालिक नहीं बल्कि पूर्णकालिक की बात कीजिए. अब इतना समय नहीं रह गया है कि मंत्री बनकर कुछ परफॉर्म किया जा सके. उल्टा लोगों को नाराजगी जरूर हो जाएगी. इससे चुनाव में फायदा होने के बजाय नुकसान हो सकता है. उन्होंने कहा कि हम लोगों के बीच रहकर काम करने वाले हैं. मैं सबसे ज्यादा सक्रिय विधायकों में शामिल रहा हूं.

दोबारा सरकार बनाने पर हुई चर्चा- डॉ. हरक सिंह
कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि नड्डा और बलूनी से शिष्टाचार भेंट हुई. पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके बेटे के कांग्रेस में जाने के बाद बदली राजनीतिक परिस्थितियों पर राष्ट्रीय अध्यक्ष से बातचीत हुई. साथ ही अगले दो महीनों के दौरान पार्टी की रणनीति को लेकर विचार हुआ. वहीं, भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष या चुनाव अभियान समिति की जिम्मेदारी देने की संभावना से उन्होंने साफ  इंकार किया. 

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