महाकुंभ के पहले साधु-संतों की सालों से चली आ रही समस्या हुई दूर, सरकार ने दी भू-समाधि के लिए जमीन
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महाकुंभ के पहले साधु-संतों की सालों से चली आ रही समस्या हुई दूर, सरकार ने दी भू-समाधि के लिए जमीन

 संन्यास परंपरा के अनुसार, संतों का शरीर पूरा होने के बाद उन्हें जल या भू-समाधि दी जा जाति है. लेकिन, हरिद्वार में भू-समाधि के लिए जमीन उपलब्ध नहीं थी. इसके चलते, साधु-संतों के शरीर त्यागने के बाद उन्हें सिर्फ जल समाधि दी जाती थी.

महाकुंभ के पहले साधु-संतों की सालों से चली आ रही समस्या हुई दूर, सरकार ने दी भू-समाधि के लिए जमीन

मोहम्म्द गुफरान/प्रयागराज: हरिद्वार महाकुंभ से पहले साधु-संतों की वर्षों से चली आ रही मांग पूरी हो गई है. उत्तराखंड सरकार ने साधु-संतों को भू-समाधि के लिए जमीन देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने इस निर्णय का स्वागत किया है. साथ ही, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का आभार व्यक्त किया है. 

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5 हेक्टेयर जमीन संतों के नाम
दरअसल, संन्यास परंपरा के अनुसार, संतों का शरीर पूरा होने के बाद उन्हें जल या भू-समाधि दी जाती है. लेकिन, हरिद्वार में भू-समाधि के लिए जमीन उपलब्ध नहीं थी. इसके चलते, साधु-संतों के शरीर त्यागने के बाद उन्हें सिर्फ जल समाधि दी जाती थी. यह जल प्रदूषण का भी एक कारण था. इस पर विचार करते हुए सीएम त्रिवेंद्र रावत कैबिनेट ने भू-समाधि के लिए जमीन देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. उत्तराखंड सरकार ने सिंचाई विभाग की 5 हेक्टेयर जमीन साधु-संतों के नाम कर दी है. सरकार के इस फैसले से साधुओं की लंबे समय से चली आ रही समस्या का निस्तारण हो गया है.  

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जल समाधि बंद करने की अपील
अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने कहा है कि इस जमीन की देखभाल भी अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ही करेगा. इसके साथ ही उन्होंने संत समाज से अपील की है कि भू-समाधि के लिए जमीन मिल जाने के बाद अब जल समाधि पूरी तरीके से बंद कर दें. ताकि, गंगा जल प्रदूषित न हो और गंगा का प्रवाह भी अविरल और निर्मल बना रहे.

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