अगर मतदान दिवस के दिन आप वोट डालने जाएं और आपको यह पता चले कि आपका वोट पहले ही डल चुका है, तो ऐसी स्थिति में आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है. आप अपने मताधिकार से वंचित नहीं रहेंगे.
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नई दिल्ली: पूरे देश में लोकतंत्र के उत्सव का माहौल जारी है. राजनीतिक पार्टियां, विधायक उम्मीदवार और जनता पूरे जोश में दिखाई दे रही है. देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव शुरू हो चुके हैं. यूपी में दो चरण के मतदान हो चुके हैं. वहीं, पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में भी सोमवार को सभी सीटों पर सिंगल फेज में वोटिंग हुई. जबकि यूपी में अभी पांच चरणों में वोटिंग बाकी है. मतदाताओं को अब 20 फरवरी को होने वाले मतदान का बेसब्री से इंतजार है. मान लीजिए मतदान दिवस के दिन आप वोट डालने जाएं और आपको यह पता चले कि आपका वोट पहले ही डल चुका है, तो ऐसे में आपको परेशान होने की बिल्कुल जरूरत नहीं है. आप अपने मताधिकार से वंचित नहीं रहेंगे.
ऐसी स्थिति से निपटने के लिए निर्वाचन आयोग का एक नियम है, जिसके तहत अगर आपके साथ या आपके किसी जानकार के साथ ऐसा होने पर अपने मताधिकारों का उपयोग कर इसे चैलेंज कर सकते हैं. इसके साथ ही आप अपना वोट भी डाल सकते हैं. हालांकि, आप ईवीएम का उपयोग नहीं कर पाएंगे.
जानिए क्या है नियम
दरअसल, जिन लोगों की ये शिकायत होती है कि उनका वोट पहले ही किसी फर्जी व्यक्ति द्वारा डाल दिया गया है, उन लोगों की इस समस्या को सुलझाने के लिए चुनाव आयोग की ओर से 'टेंडर वोट' की व्यवस्था की जाती है. जिसके जरिए पुराने वोट को चैलेंज किया जा सकता है. इसके साथ ही वोटर अपना नया वोट डाल सकता है. टेंडर वोट की व्यवस्था चुनाव आयोग के नियमों के सेक्शन 42 के अनुसार की गई है, जिसके तहत पीठासीन अधिकारियों को पहले से खास दिशा-निर्देश दिए जाते हैं. वोटिंग के वक्त मिलने वाली किट में अधिकारियों को 'टेंडर वोट' भी उपलब्ध कराए जाते हैं. चुनाव अधिकारियों को मतदान खत्म होने के बाद इसका ब्यौरा चुनाव आयोग को देना पड़ता है.
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क्या होता है टेंडर वोट?
टेंडर वोट की मांग करने से पहले आपको फर्जी पड़े वोट की शिकायत पीठासीन अधिकारी से करनी होगी. इसके साथ ही उन्हें अपनी पहचान का सत्यापन करवाना होगा कि आप ही असली वोटर हैं और किसी फर्जी व्यक्ति ने आपके नाम से गलत वोट डाला है. इसके बाद आप टेंडर वोट का इस्तेमाल कर सकते हैं. यह एक तरह का कागज (फार्म-17ए) होता है, जिसके जरिए आप अपना वोट दे सकते हैं. ऐसी स्थिति में आप ईवीएम के जरिये वोट नहीं दे पाएंगे. आपको बैलेट पेपर के जरिए ही अपना वोट डालना होगा.
चुनाव आयोग को भेजी जाती है पूरी डिटेल
वहीं, टेंडर वोट के जरिए मतदान करने पर पीठासीन अधिकारी ईवीएम के साथ-साथ फॉर्म भी चुनाव आयोग को जमा करता है. इसके साथ ही पूरी जानकारी भी चुनाव आयोग को देता है. ऐसे में अगर चुनाव के दौरान आपके साथ भी ऐसा हो, तो परेशान ना हों. अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के लिए पीठासीन अधिकारी से टेंडर वोट की मांग कर, मतदान कर सकते हैं.
कैसे होती है गिनती?
टेंडर वोट की गिनती उस स्थिति में की जाती है, जब किसी दो या उससे ज्यादा उम्मीदवार को बराबर वोट मिल रहे हों. इस स्थिति में टेंडर वोट की गिनती के जरिए ही अंतिम फैसला लिया जाता है.
फर्जी वोटिंग अपराध
आपको बता दें कि अगर कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे के नाम पर वोट डालता है या डालने का प्रयास करता है तो उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 171 D के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है. आरोप साबित होने पर एक साल की जेल अथवा जुर्माना या फिर दोनों सजा हो सकती हैं.
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