UP Politics : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी के बीच कोलकाता में शुक्रवार को मुलाकात हुई. सपा और तृणमूल समेत 3 बड़े दलों ने तीसरा मोर्चा बना सकते हैं.
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Mission 2024 : केंद्र की राजनीति में गैर भाजपा गैर कांग्रेसी विकल्प की तलाश कर रहे तीन दलों ने साथ आने के संकेत दिए हैं. समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की शुक्रवार को ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) से कोलकाता में मुलाकात के बाद इस कवायद को बड़ा बल मिला है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस तिकड़ी में ओडिशा के मुख्यमंत्री और बीजू जनता दल के प्रमुख नवीन पटनायक तीसरी कड़ी होंगे, जिनसे ममता बनर्जी अगले हफ्ते मुलाकात करने वाली हैं. कोलकाता में समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी हो रही है, यूपी में नगर निकाय चुनाव के पहले राज्य के बाहर इस बैठक को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं.
इस कवायद का उद्देश्य बीजेपी के मुकाबले में एक मजबूत गठजोड़ तैयार करने के साथ इस परसेप्शन को भी तोड़ना है कि मोदी के मुकाबले कांग्रेस या उसके नेता राहुल गांधी हैं. मोदी के कांग्रेस और राहुल गांधी के मुकाबले को बीजेपी 2024 की लड़ाई में बेहद आसान रही है. खासकर उत्तर भारत के क्षेत्र में जहां राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल, उत्तराखंड जैसे कई राज्यों में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला रहा है. अखिलेश यादव ने भी कहा कि हमारा रुख है कि हम बीजेपी और कांग्रेस से बराबर दूरी बनाकर रखेंगे. जिन्होंने बीजेपी की वैक्सीन ले रखी है, उन्हें सीबीआई और ईडी परेशान नहीं करेगी. जबकि अन्य को इसका सामना करना पड़ेगा.
तृणमूल कांग्रेस सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि यह कहना बेमानी है कि कांग्रेस विरोधी दलों की बिग बॉस है. सीएम ममता बनर्जी नवीन पटनायक से 23 मार्च को मुलाकात करेंगी और हम समान सोच रखने वाले दलों को लेकर आगे बढ़ेंगे. तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव भी इसी मुहिम में जुड़ सकते हैं, जिनके अपने राज्य में बीजेपी और कांग्रेस ही मुख्य प्रतिद्वंद्वी हैं.
उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें, पश्चिम बंगाल में 42 और ओडिशा में 21 लोकसभा सीटें हैं. हालांकि कांग्रेस और बीजेपी से दूरी बनाने वाले ये दल कैसे लोकसभा चुनाव में एक दूसरी की मदद कर पाएंगे ये बड़ी चुनौती होगी. ममता बनर्जी ने 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी सपा के लिए प्रचार किया था. हालांकि इसका ज्यादा राजनीतिक फायदा पार्टी को नहीं मिल पाया औऱ योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में बीजेपी दोबारा सत्ता में आई.
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