यूपी में सीएम योगी की जीत की ये पांच वजह, पढ़ें पूरी खबर
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यूपी में सीएम योगी की जीत की ये पांच वजह, पढ़ें पूरी खबर

समाजवादी पार्टी खुद को मुस्लिमपरस्त छवि से बाहर नहीं निकाल पाई. जिन्ना विवाद पर अखिलेश के बयानों ने ध्रुवीकरण में मदद की. इससे भाजपा को फायदा मिला. साथ ही भाजपा के एमवाई (मोदी-योगी) फैक्टर ने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान हिन्दुत्व पर जोर दिया. यही वजह है कि भाजपा की सीटें भले ही घटीं, लेकिन वोट शेयर 41 फीसदी हो गया, जो पिछली बार से 2 फीसदी ज्यादा है.

यूपी में सीएम योगी की जीत की ये पांच वजह, पढ़ें पूरी खबर

लखनऊ: यूपी में अखिलेश यादव के एमवाई (मुस्लिम-यादव) पर भाजपा का एमवाई (मोदी-योगी) फैक्टर भारी पड़ा. भले ही अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के इतिहास का सबसे ज्यादा वोट प्रतिशत हासिल किया, लेकिन वो सीटों के आंकड़े में बहुत पीछे रह गए. अब कई रिकॉर्ड बनाते हुए योगी आदित्यनाथ एक बार फिर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री होंगे. वहीं, प्रदेश में चर्चा इस बात की है कि वो बड़ी वजहें क्या रहीं, जिनकी वजह से अखिलेश यादव सत्ता में आ नहीं पाए और योगी आदित्यनाथ को स्पष्ट जनादेश मिल गया. 

भाजपा की जीत की पहली वजह 
यूपी में भाजपा की जीत और सपा की हार का पहला बड़ा कारण बसपा मानी जा रही है. दरअसल, बसपा ने 122 ऐसे उम्मीदवार ऐसे खड़े किए, जिन्होंने जातीय समीकरण में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों के ही वोट काटे. इनमें 91 मुस्लिम बहुल और 15 यादव सीटें थीं. बसपा ने वोट काटा और 122 में से 68 सीटें बीजेपी गठबंधन के हाथ लगी.

भाजपा की जीत की दूसरी वजह 
इस चुनाव में समाजवादी पार्टी खुद को मुस्लिमपरस्त छवि से बाहर नहीं निकाल पाई. जिन्ना विवाद पर अखिलेश के बयानों ने ध्रुवीकरण में मदद की. इससे भाजपा को फायदा मिला. साथ ही भाजपा के एमवाई (मोदी-योगी) फैक्टर ने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान हिन्दुत्व पर जोर दिया. यही वजह है कि भाजपा की सीटें भले ही घटीं, लेकिन वोट शेयर 41 फीसदी हो गया, जो पिछली बार से 2 फीसदी ज्यादा है.

भाजपा की जीत की तीसरी वजह 
अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की जोड़ी भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट मतदाताओं को नहीं लुभा पाई. साथ ही पश्चिमी यूपी में शहरी बनाम ग्रामीण के चलते जाटों का वोट भी पूरी तरह से जयंत चौधरी और अखिलेश यादव को नहीं मिल सका. शहरी जाट बड़ी संख्या में भाजपा के साथ गए. गैर यादव ओबीसी वोट भी भाजपा को मिले. किसान आंदोलन का गढ़ होने के बावजूद राष्ट्रीय लोकदल महज 8 सीटों पर सिमट गई और भाजपा को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फायदा मिला. 

भाजपा की जीत की चौथी वजह 
इस चुनाव में बुलडोजर की ब्रांडिंग भी खूब चली. खुद योगी ने 70 में से 58 रैलियों में बुलडोजर का जिक्र किया. अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ को बुलडोजर बाबा कहा तो भाजपा के थिंक टैंक ने बुलडोजर को कानून व्यवस्था से जोड़ते हुए ब्रांडिंग कर दी. 

भाजपा की जीत की पांचवीं वजह
भाजपा की इस जीत में एक बड़ा फैक्टर लाभार्थियों का भी रहा. लाभार्थियों की संख्या 15 करोड़ थी, जिन्हें महीने में 2 बार अनाज तेल के साथ नमक भी दिया गया. मुफ्त राशन के मुद्दे ने सबसे बड़ा कमाल किया और ग्रामीण इलाकों में इसकी खूब चर्चा रही. जाहिर है कोरोनाकाल में योगी की सक्रियता औऱ सरकारी योजनाओं का सीधा फायदा पाने वाले वर्ग ने भाजपा को वोट दिया, जिसका असर वोटिंग प्रतिशत में भी दिखा और यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इतिहास रच दिया.

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