प्रयागराज की पथरचट्टी रामलीला: डबल स्टोरी स्टेज पर होता है मंचन, हवा में उड़ते हैं किरदार
Advertisement

प्रयागराज की पथरचट्टी रामलीला: डबल स्टोरी स्टेज पर होता है मंचन, हवा में उड़ते हैं किरदार

मान्यताओं के मुताबिक, प्रयागराज की यह रामलीला गोस्वामी तुलसीदास के समय से हो रही है. लेकिन मौजूदा जगह पर इस नाम से यह पिछले 175 साल से हो रही है....

प्रयागराज की पथरचट्टी रामलीला: डबल स्टोरी स्टेज पर होता है मंचन, हवा में उड़ते हैं किरदार

प्रयागराज: संगम नगरी में यूं तो 50 से ज्यादा जगहों पर रामलीलाओं का आयोजन होता है, लेकिन श्री पथरचट्टी कमेटी की रामलीला इनमें सबसे भव्य और आकर्षक है. लाइट एंड साउंड की तकनीक के सहारे होने वाली इस ऐतिहासिक रामलीला को देश की चुनिंदा हाईटेक रामलीलाओं में शुमार किया जाता है. यह रामलीला डबल स्टोरी यानी दो मंजिला वाले डबल स्टेज पर होती है. इसमें नई तकनीकों का इस्तेमाल कर हनुमान, सूर्पणखा और दूसरे यांत्रिक पात्रों को हवा में उड़ते हुए दिखाया जाता है, तो कई दूसरे प्रसंग हाइड्रोलिक लिफ्ट के जरिये प्रकट होते नजर आते हैं. लाइट एंड साउंड के सहारे बेहद हाईटेक अंदाज में होने वाली इस रामलीला को देश की सर्वश्रेष्ठ रामलीला के खिताब से भी नवाजा जा चुका है.

एक बार फिर उत्तराखंड आ रहे PM Modi, राज्य में उत्साह, लेकिन इस बात से घबरा रही कांग्रेस!

रामलीला में खर्च होते हैं 1 करोड़ से ज्यादा
यहां की रामलीला ढाई सौ फीट चौड़े डबल स्टोरी के स्टेज पर होती है. यहां का मंच इतना बड़ा होता है कि एक बार में आठ से दस प्रसंगों का मंचन किया जा सकता है. डबल स्टोरी स्टेज के अलावा तीन सौ फिट की ऊंचाई पर कैलाश पर्वत का सेट अलग से तैयार किया जाता है, जिस पर भगवान शिव माता पार्वती को पूरे रामायण का प्रसंग सुनाते हैं. यहां की अनूठी रामलीला में सौ से ज्यादा कलाकार डेढ़ महीने पहले से ही रिहर्सल शुरू कर देते हैं, जबकि सौ से अधिक टेक्नीशियन व दूसरे लोग रात-दिन काम कर इसे भव्य स्वरूप प्रदान करते हैं. यहां की रामलीला इतनी भव्य व आकर्षक होती है कि इसके आयोजन में करोड़ रुपए से अधिक का खर्च आता है. महंगे कॉस्ट्यूम, हाइटेक स्वरूप, आकर्षक लाइटिंग और दूरदर्शन व थियेटर से जुड़े हुए मंझे हुए कलाकारों के साथ ही गीत-संगीत के बीच होने वाली प्रस्तुति यहां की रामलीला को बाकी जगहों से बेहद अलग व आकर्षक बनाती है. यहां की रामलीला को देखने के बाद ऐसा लगता है, मानो जैसे रामानंद सागर की रामायण का प्रसारण हो रहा हो. राम-रावण युद्ध के प्रसंगों के मंचन के लिए मार्शल आर्ट में पारंगत कलाकारों को लगाया जाता है. इसी तरह से दूसरे प्रसंग भी दिखाए जाते हैं.

Boss Day 2021 पर इन मजेदार चुटकुलों से आप भी करें अपने सीनियर को एंटरटेन, Jokes पढ़ नहीं रोक पाएंगे हंसी

तुलसीदास के समय ले चली आ रही रामलीला
मान्यताओं के मुताबिक, प्रयागराज की यह रामलीला गोस्वामी तुलसीदास के समय से हो रही है. लेकिन मौजूदा जगह पर इस नाम से यह पिछले 175 साल से हो रही है. तकनीक के हाईटेक इस्तेमाल और लाइट एंड साउंड के जरिये होने वाले आकर्षक प्रस्तुतीकरण की वजह से श्री पथरचट्टी कमेटी की रामलीला बेहद लोकप्रिय है. इसे देखने के लिए रोजाना हजारों की तादात में लोग जमा होते हैं. दूसरी तमाम रामलीलाओं में जहां दर्शकों का अभाव होता है, वहीं यहां की रामलीला में एंट्री पाने के लिए लोगों को खासी जद्दोजहद करनी पड़ती है. यहां की रामलीला का मंचन इतने आकर्षक अंदाज में होता है कि दर्शक अपनी सुध-बुध खोकर पात्रों व किरदारों में डूब जाते हैं.

PM Kisan Samman Nidhi: UP के लाखों लभार्थियों का नाम कटा, सभी जिलों के DM को सरकार ने लिखी चिट्ठी

स्काईनेट का खास योगदान
इस रामलीला को खास पहचान दिलाने में स्काईनेट डिजिटल का भी खासा योगदान है. स्काईनेट डिजिटल के जरिए देश के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले लोग भी इस ऐतिहासिक रामलीला का मंचन अपनी टीवी सेट पर देखते हैं. स्काई नेट डिजिटल के डायरेक्टर संतोष गुप्ता बताते हैं कि पहली बार वह 2006 में इस रामलीला से जुड़े थे इसके बाद उनका एक आत्मीय लगाव हो गयाय. उन्होंने कहा कि आज के तकनीक के दौर में लोग परंपराओं से दूर होते जा रहे हैं, उसी परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए श्री पत्थरचट्टी रामलीला की तरफ से कोशिश की जा रही है. संतोष गुप्ता का कहना है कि आज के वक्त में परंपराओं का ध्यान रखना और उन को आगे बढ़ाने में योगदान देना हमारी नैतिक जिम्मेदारी भी है. उन्हीं जिम्मेदारियों का निर्वहन करने की कोशिश श्री पत्थरचट्टी रामलीला कमेटी की तरफ़ की जा रही है.

WATCH LIVE TV

Trending news