30 हजार रुपये न होने के चलते टूटे होनहार के अरमान, 12वीं की जिला टॉपर नहीं ले सकी डीयू में एडमिशन
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30 हजार रुपये न होने के चलते टूटे होनहार के अरमान, 12वीं की जिला टॉपर नहीं ले सकी डीयू में एडमिशन

Kanpur Dehat: 30 हजार रुपये की  कीमत क्या होती है यह कानपुर देहात की एक होनहार छात्रा शायद अच्छे से बता सकती है, जिसे इस रकम की वजह से ही डीयू में एडमिशन नहीं मिल सका. छात्रा 10वीं और 12वीं में टॉपर रही है. 

30 हजार रुपये न होने के चलते टूटे होनहार के अरमान, 12वीं की जिला टॉपर नहीं ले सकी डीयू में एडमिशन

आलोक त्रिपाठी/कानपुर देहात: 'मैं देश की टॉप यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करना चाहती हूं,ये मेरा सपना है. मैं देश के लिए कुछ करना चाहती हूं, लेकिन इतने पैसे नहीं हैं कि आगे दाखिला ले सकूं'' इतना बोलते हुए इंटरमीडिएट में जिला टॉप करने वाली एक बेटी भावुक हो गई. कानपुर देहात के मुख्यालय से 2 किलोमीटर दूर बने आलंचन्द्रपुर स्थित कांशीराम कॉलोनी में रहने वाली छात्रा सेजल चौरसिया ने 10वीं और 12वीं में जिला टॉप किया था. 

छात्रा सेजल चौरसिया को जिले के जिलाधिकारी सहित सूबे के मुख्यमंत्री ने भी सम्मानित किया. जिले का नाम रोशन करने वाली छात्रा के सामने आर्थिक संकट एक बड़ी समस्या बनी हई है. उसने बताया कि उसने सीयूईटी की परीक्षा पास की.जिसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेना उसका सपना था.लेकिन महज 30 हजार रुपये ना होने के चलते दाखिला नहीं ले सकी और अब आर्थिक तंगी से परेशान छात्रा पास में ही बने महाविद्यालय से बीएससी की पढ़ाई कर रही है. 

उमेश चौरसिया बताते हैं कि उनकी बेटी बचपन से ही पढ़ने में होशियार है, 10वीं और 12वीं में उसने न सिर्फ अपने विद्यालय में टॉप किया है बल्कि जिले में भी प्रथम स्थान हासिल किया. सेजल चौरसिया ने 12वी टॉप किया तो जिले के जिलाधिकारी ने छात्रा को सम्मानित किया. साथ ही राजधानी लखनऊ में सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक कार्यक्रम के दौरान छात्रा सेजल को सम्मानित किया था.

वहीं इंटरमीडिएट की पढ़ाई के बाद उसने सीयूईटी की परीक्षा दी थी.जिसमें भी वह पास हो गई और उसे डीयू में दाखिला लेना था. जिसके लिए इंट्रेंस एग्जाम दिया और पास हो गई. बेटी ने बताया कि दाखिले के लिए 30 हजार रुपये जमा होने थे और उस रकम को जमा कर पाना इस परिवार के लिए बेहद मुश्किल था. फिलहाल पिता ने अपने फैक्ट्री में काम करने वाले अन्य सहयोगियों सहित मालिक से भी बात की लेकिन लाख कोशिश करने के बाद भी पिता यह रकम को नहीं जुटा पाया.

उनकी पत्नी संगीता भी बेटी की आगे की पढ़ाई ना होने के चलते चिंतित और दुखी हैं. उन्होंने बताया कि उनकी परिवार की मासिक आय महज 8 हजार ही है. जिसकी वजह से बमुश्किल से जीवन कट रहा है. उन्होंने बताया कि वे आज भी किराए की जर्जर कॉलोनी में रह रही हैं. उनके पास आज तक खुद का मकान नहीं हो पाया है. जिसको लेकर तमाम समस्यायों का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन अब बेटी के आगे की पढ़ाई ना होने पर उन्हें इस बात का भी दुख है. लाख प्रयासों के बाद भी इस परिवार को आवास योजना ला लाभ तक नही मिल सका है.

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