कानपुर का यह युवक किशोर कुमार की तरह गाता है गाना, टैलेंट के कायल हुए लोग
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कानपुर का यह युवक किशोर कुमार की तरह गाता है गाना, टैलेंट के कायल हुए लोग

 kanpur News: वीरेंद्र का कहना है कि दो सालों से वह गीत गाते आ रहे हैं. तमाम प्रयासों के बाद भी पहचान नहीं मिल पा रही है, लेकिन उनका कहना है कि डिजिटल दुनिया में मोबाइल आने से मेरे गाने को लोगों के द्वारा खूब पसंद किया जा रहा है.वीरेंद्र के शौक का शहर के साथ ही मोहल्ले के लोग भी खूब सम्मान करते हैं.

कानपुर का यह युवक किशोर कुमार की तरह गाता है गाना, टैलेंट के कायल हुए लोग

कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर की मलिन बस्तियों में भी टैलेंट की कमी नहीं है. बढ़ती बेरोजगारी के समय में औद्योगिक नगरी कानपुर की मलिन बस्ती से निकलकर वीरेंद्र गाने गाकर घर का खर्च चला रहा है. चाय की दुकान पर लोगों को गाने सुनाने वाला वीरेंद्र इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है, जिसका गाना सुनाने का अंदाज लोगों काफी भा रहा है. वीरेंद्र लोगों को अपने टैलेंट से कायल बना रहे हैं. वह हूबहू किशोर कुमार की आवाज में गाना गाता है.

बरसात के मौसम में अदरक वाली कुल्हड़ की चाय मिल जाए तो क्या कहना. चाय की चुस्कियां लेते हुए अगर कोई किशोर दा का गाना भी सुना दे तो फिर समझो सोने पर सुहागा हो गया. हम कानपुर के लोहारन भट्ठा में एक ऐसे गायक वीरेंद्र कुमार के बारे में बात कर रहे हैं जो चाय की दुकान और चौराहों पर गाना सुनाता है.

परिवार का पालन पोषण के लिए गाते हैं वीरेंद्र 
मलिन बस्ती में रहने वाले वीरेंद्र साइकिल पर साज ओ सामान और हाथ मे माइक लेकर दोपहर बाद निकल पड़ते हैं. उनका कहना है कि जब आर्थिक कारणों के चलते अपना सपना पूरा नहीं कर पाए तो उन्होंने परिवार का पालन पोषण करने के लिए बचपन के शौक को ही अपना लिया. वीरेंद्र चाय की दुकान पर तो कभी पॉश इलाके के भींड भरे चौराहे पर करोके की धुन के साथ गाना सुनाते हैं. वीरेंद्र के गाने होटल पर आने वाले लोगों को खूब भाते हैं.

दो सालों से गा रहे गाना 
वीरेंद्र का कहना है कि दो सालों से वह गीत गाते आ रहे हैं. तमाम प्रयासों के बाद भी पहचान नहीं मिल पा रही है, लेकिन उनका कहना है कि डिजिटल दुनिया में मोबाइल आने से मेरे गाने को लोगों के द्वारा खूब पसंद किया जा रहा है.वीरेंद्र के शौक का शहर के साथ ही मोहल्ले के लोग भी खूब सम्मान करते हैं. गाने के एवज में लोग उनकी जेब में रुपये डाल देते हैं. उनका कहना है कि अगर वीरेंद्र के गाने को कोई अच्छा प्लेटफार्म मिल जाए तो वो आगे और अच्छा कर सकता है.

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शहर के आर्यनगर और जेके मंदिर के आसपास छात्र वर्ग और कारोबारी स्तर के ज्यादातर लोग रहते हैं. इनकी टोली चाय की दुकान पर जमी रहती है और वीरेंद्र उनके मन मुताबिक गाना सुनाकर मनोरंजन करते हैं, जिससे उनका धंधा भी फल फूल रहा है. वास्तविकता यही है कि कोई काम छोटा बड़ा नहीं होता है, बस किसी भी काम को जज्बे से किया जाए तो उसमें सफलता जरूर मिलती है.

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