Gyanvapi Case : ज्ञानवापी मामले में याचिकाकर्ता महिलाओं और हिन्दू संगठन में ही पड़ी फूट, हाईकोर्ट में हुई सुनवाई
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Gyanvapi Case : ज्ञानवापी मामले में याचिकाकर्ता महिलाओं और हिन्दू संगठन में ही पड़ी फूट, हाईकोर्ट में हुई सुनवाई

Gyanvapi Case :  ज्ञानवापी मस्जिद शृंगार गौरी मंदिर मामले में चार याचिकाकर्ता महिलाओं के अलावा विश्व वैदिक सनातन संघ के बीच मतभेद उभरकर सामने आए हैं. 

 

 

Gyanvapi Case

ज्ञानवापी मस्जिद शृंगार गौरी मंदिर प्रकरण (Gyanvapi Masjid Shringar Gauri Case) में नया मोड़ आ गया है. हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई के हिन्दू पक्ष में तकरार खुलकर सामने आ गई. विश्व वैदिक सनातन संघ और चार वादी महिलाओं के बीच विवाद बढ़ता नजर आया. जानकारी के अनुसार, फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहे ज्ञानवापी केस को लेकर जिला अदालत में स्थगनादेश लेने की मांग को लेकर यह विवाद उभरा है. आदि विशेश्वर के मामले को शृंगार गौरी केस के साथ जिला अदालत में सुनने की चार वादी महिलाओं ने अपील की है, इस पर आगे सुनवाई होगी. 

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सोमवार को जिला जज ने सुनवाई के दौरान याची किरन सिंह से केस की कॉपी मांगी. इस मामले पर आगे सुनवाई अब 30 नवंबर को होगी. इससे पहले, ज्ञानवापी परिसर के अंदर मिले कथित शिवलिंग के वैज्ञानिक सर्वे की मांग वाराणसी न्यायालय ने खारिज कर दी थी. इस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई.

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कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व विभाग एएसआई (ASI) से पूछा है कि क्या बगैर शिवलिंग खंडित किए जांच संभव है, एएसआई की तरफ से पेश अधिकारी ने कहा कि अगर कोर्ट निर्देशित करता है तो वह जांच में सक्षम है. वहीं मुस्लिम पक्ष के मुख्य अधिवक्ता के नहीं होने के चलते कोर्ट ने आगे की सुनवाई के लिए तारीख दे दी.

मामले में अब 30 नवंबर को कोर्ट आगे की सुनवाई करेगी. हिंदू पक्ष ने वाराणसी न्यायालय के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है. जिला न्यायालय वाराणसी ने 14 अक्तूबर 2022 को हिंदू पक्ष की याचिका खारिज की थी.

उल्लेखनीय है कि ज्ञानवापी मस्जिद शृंगार गौरी केस में कई याचिकाएं दाखिल हुई हैं, ये याचिका निचली अदालत से लेकर हाईकोर्ट में लंबित हैं. उधर, प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट को लेकर भी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है. इस कानून के तहत अयोध्या के अलावा अन्य धर्मस्थलों की यथास्थिति बनाए रखने का हवाला कोर्ट में दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर केंद्र सरकार और अन्य संबंधित पक्षों से जवाब मांगा है.  

 

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