UP Chunav 2022: बाहुबली नेता डीपी यादव नहीं लड़ेंगे विधानसभा चुनाव, बेटे कुणाल पर लगाया दांव, जानें कौन हैं धर्मपाल यादव
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UP Chunav 2022: बाहुबली नेता डीपी यादव नहीं लड़ेंगे विधानसभा चुनाव, बेटे कुणाल पर लगाया दांव, जानें कौन हैं धर्मपाल यादव

UP Vidhan Sabha Chunav 2022: बाहुबली नेताओं में शुमार पूर्व सांसद और विधायक डीपी यादव इस बार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. उनकी पत्नी उमलेश यादव ने भी पर्चा बापस ले लिया है.अब उनकी जगह उनके बेटे अपने सियासी पारी शुरू करेंगे. ..ये बताया जा रहा है कारण

 

UP Chunav 2022: बाहुबली नेता डीपी यादव नहीं लड़ेंगे विधानसभा चुनाव, बेटे कुणाल पर लगाया दांव, जानें कौन हैं धर्मपाल यादव

बदायूं:  मुलायम सिंह यादव और राम गोपाल यादव जैसे कद्दावर नेताओं के सामने हथियार न डालने वाले दिग्गज नेता धर्मपाल यादव उर्फ डीपी यादव इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे. 34 साल के राजनीतिक करियर में डीपी यादव ने पहली बार चुनाव से अपने कदम पीछे खींच लिए हैं. उन्होंने 25 जनवरी को बदायूं की सहसवान विधानसभा सीट से राष्ट्रीय परिवर्तन दल की तरफ से अपना नामांकन पत्र भरा था. 

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डीपी यादव इस बार नहीं लड़ेंगे विधानसभा चुनाव 

बाहुबली नेताओं में शुमार पूर्व सांसद और विधायक डीपी यादव इस बार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. उनकी पत्नी उमलेश यादव ने भी पर्चा बापस ले लिया है.अब उनकी जगह उनके बेटे अपने सियासी पारी शुरू करेंगे. परिवार से तीन लोगों के नामांकन दाखिल करने के पीछे स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया जा रहा है. पति-पत्नी ने 31 जनवरी को अपना नाम वापस ले लिया. बता दें कि डीपी यादव के बेटे कुणाल का ये पहला चुनाव है. कुणाल यदु शुगर मिल के निदेशक के रूप में कार्यरत थे.

जानें कौन हैं डीपी यादव?
डीपी यादव का जन्म गौतमबुद्ध नगर के नोएडा के सर्फाबाद गांव के एक किसान परिवार में हुआ. डीपी यादव ने दूध के कारोबार से लेकर चीनी मिल, पेपर मिल, शराब और अन्य कारोबार में हाथ आजमाया. समय के साथ उनका रसूख और कारोबार तरक्की करने लगा. बताया जाता है कि डीपी यादव ने पश्चिम उत्तर प्रदेश में अवैध शराब के कारोबार का सिंडिकेट बनाया और उसके बाद उन्होंने सियासत में किस्मत आजमाई. डीपी यादव का होटल, रिजॉर्ट, टीवी चैनल, पावर प्रोजेक्ट, खदान और कंस्ट्रक्शन जैसे बिजनेस में दखल है और उनके कई स्कूल-कॉलेज भी हैं.

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कभी मुलायम सिंह के करीबी थे डीपी यादव
तीन बार विधायक, मंत्री, लोकसभा, राज्यसभा सांसद और अपनी खुद की राष्ट्रीय परिवर्तन दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं. कम समय में ही राजनीति की सीढ़ियां चढ़ने वाले डीपी यादव का बुरा दौर भी आया. जब किसी पार्टी से उनको टिकट नहीं मिला तो उन्होंने अपनी पार्टी साल 2002 में बनाई. डीपी यादव यूपी सरकार में मंत्री भी रहे हैं. किसी दौर में उन्हें मुलायम सिंह का करीबी माना जाता था.

फिर बाद में मुलायम सिंह से उनकी दूरी बन गई. ऐसा कहा जाता है कि जब समाजवादी पार्टी का गठन किया गया था. उस समया डीपी ने मुलायम की मदद की थी. डीपी यादव 3 बार विधायक, मंत्री, लोकसभा, राज्यसभा सांसद रह चुके हैं. डीपी यादव को यूपी का बाहुबली नेता माना जाता है और हाल ही में हत्या के एक मामले में उत्तराखंड हाई कोर्ट ने बरी किया है.

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