उत्तर प्रदेश में डीजे पर रोक के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ फेस्टिवल ऑफ सनबर्न संस्था ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में डीजे पर रोक के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ फेस्टिवल ऑफ सनबर्न संस्था ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया है. आज इस याचिका पर चीफ जस्टिस की बेंच से जल्द सुनवाई की मांग की गई लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया. CJI ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ये शोर करने वाला सिस्टम कानों के लिए अच्छा नहीं है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बैन लगाकर सही ही किया है. जल्द सुनवाई की ज़रूरत नहीं है.
दरअसल बढ़ते ध्वनि प्रदूषण को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया था. कोर्ट ने मानव स्वास्थ्य के लिए ध्वनि प्रदूषण को खतरा मानते हुए डीजे बजाने की अनुमति देने पर रोक लगा दी दी. कोर्ट ने बच्चों, बुजुर्गों औऱ अस्पतालों में भर्ती मरीजों की सहूलियत को देखते हुए सूबे में डीजे बजाने की अनुमति देने पर रोक लगा दी थी.
इलाहाबाद HC का बड़ा फैसला, UP में DJ बजाने पर रोक, बजाया तो होगी 5 साल की कैद
यह आदेश न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल तथा न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खंडपीठ ने हासिमपुर, प्रयागराज के निवासी सुशील चंद्र श्रीवास्तव और अन्य की याचिका पर दिया था. कोर्ट ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को टीम बनाकर ध्वनि प्रदूषण की निगरानी करने और दोषियों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था, कोर्ट ने दो टूक कहा था कि अगर आदेश के बाद भी डीजे बजेगा तो उसके लिए संबंधित थाना इंचार्ज जिम्मेदार माना जाएगा. साथ ही इस निर्देश को न मानने वाले पर 5 साल कैद के साथ एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाए जाने का आदेश दिया था.
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क्या था इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला...
1- शादी-ब्याह, पार्टियों और त्योहारों पर तेज आवाज में डीजे नहीं बजाना है.
2- कोर्ट ने कहा कि बच्चों, बुजुर्गों और अस्पतालों में भर्ती मरीजों सहित मानव स्वास्थ्य के लिए ध्वनि प्रदूषण बड़ा खतरा है.
3- कोर्ट ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को टीम बनाकर ध्वनि प्रदूषण की निगरानी करने और दोषियों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.
4- कोर्ट ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण कानून का उल्लंघन करने पर पांच साल तक की कैद और एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
5- कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण कानून के तहत अपराध की प्राथमिकी दर्ज की जाए.
6- कानून का पालन कराने की जिम्मेदारी सभी संबंधित थानाध्यक्षों की होगी और इसके लिए ये सीधे तौर पर जिम्मेदार होंगे.
7- कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह प्रदेश के सभी शहरी इलाकों को औद्योगिक, व्यवसायिक और रिहायशी या साइलेन्स जोन के रूप में श्रेणीबद्ध करें.
8- कोर्ट ने जिलाधिकारी को ध्वनि प्रदूषण की शिकायत सुनने वाले अधिकारी का फोन नंबर सहित अन्य ब्यौरा सार्वजनिक स्थलों पर सूचना बोर्ड लगाकर देने का निर्देश दिया है.
9- शिकायत के लिए टोल फ्री नंबर जारी करने को कहा है.
10- कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव को सभी अधिकारियों को आदेश का पालन करने का निर्देश जारी करने के लिए कहा है.