पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर भड़के सतपाल महाराज, इस बात के लिए की माफी की मांग
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पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर भड़के सतपाल महाराज, इस बात के लिए की माफी की मांग

सतपाल महाराज ने कहा कि हरदा (हरीश रावत) ने गंगा को नहर बताने की गलती करने की माफी तो मांग ली है, लेकिन वह यह भी बताएं कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान और कितनी गलतियां की हैं

सतपाल महाराज (L), हरीश रावत.

देहरादून: कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बीच जुबानी जंग और तेज हो चली है. सियासत में एक दूसरे के धुर विरोधी रहे दोनों दिग्गजों के बीच चल रहा शीत युद्ध अब सार्वजनिक हो चला है. पूर्व सीएम हरीश रावत पर सतपाल महाराज ने पलटवार किया है. महाराज ने कहा है, ''दूसरों के बयानों में रुचि लेने के बजाय अन्य गलतियों के लिए भी हरीश रावत माफी मांगें और अपने गिरेबान में झांकें.''

महाराज ने कहा कि हरदा (हरीश रावत) ने गंगा को नहर बताने की गलती करने की माफी तो मांग ली है, लेकिन वह यह भी बताएं कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान और कितनी गलतियां की हैं? सतपाल महाराज ने कहा है कि हरीश रावत ने प्रॉपर्टी डीलरों को महत्व देकर गंगा को नहर बना दिया जिससे उनकी मानसिकता और ज्ञान का पता स्वतः ही चल जाता है. महाराज ने कहा कि हरदा ने अपनी गलती की माफी मांगी है, लेकिन गंगा मां ने उन्हें दंड तो दे ही दिया. वह दो जगह से चुनाव लड़े और दोनों जगहों से हार गए.

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आपको बता दें कि उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बंशीधर भगत पर रामपुर तिराह कांड को लेकर हमला किया था. उन्होंने कहा था, ''रामपुर तिराहा कांड में कौन दोषी है? इस सवाल पर पहले भगतजी को पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के बयानों को पढ़ लेना चाहिए. रामपुर कांड का एक अभियुक्त भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री का निजी सचिव रह चुका है, जिस दिन बंशीधर भगत यह सत्य खोज लेंगे तो रामपुर तिराहा कांड में भाजपा की भूमिका के लिए माफी मांगने के अलावा उनके पास कोई रास्ता नहीं बचेगा.''

हरीश रावत के इसी बयान पर सतपाल महाराज ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा, ''ऐसा कभी नहीं होता कि जो मुख्यमंत्री सड़क पर बैठकर जलेबियां खाता हो, पान की दुकान में पान खाता हो, लोगों के कंधे पर हाथ रखता हो, कान के नजदीक मुंह ले जाकर यह जताने की कोशिश करता हो कि वह उनका कितना खासम खास है, दो सीटों से चुनाव हार जाए. इस प्रकार की आडंबरी राजनीति कर रायता फैलाने वाले कांग्रेसी नेता हरीश रावत क्या इस बात का जवाब देगें कि जब वह केन्द्र में जल संसाधन मंत्री थे तो उन्होंने ग्लेशियरों की स्टडी करवाने में रुचि क्यों नहीं दिखाई? क्या इसके लिए वह माफी मांगेंगे?''

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सतपाल महाराज ने कहा कि हरीश रावत जब केंद्रीय जल संसाधन मंत्री थे उस समय पहाड़ के ग्लेशियरों का अध्ययन होना चाहिए था. यदि वह ग्लेशियरों का अध्ययन करवाते तो हम 2013 की त्रासदी को भी पलट सकते थे. महाराज ने कहा कि आज उन्होंने इंडियन हाइड्रोलॉजिक के तहत एक सेक्शन बनाकर इसका अध्ययन शुरू कर दिया है. महाराज ने कहा कि वाडिया इंस्टीट्यूट के भूगर्भ शास्त्री ने 2013 की आपदा से पूर्व चेताया था कि अगर चोराबारी ग्लेशियर फटता है तो पूरी केदारपुरी बह जाएगी. महाराज ने कहा कि जिस व्यक्ति का उत्तराखंड राज्य आन्दोलन से दूर दूर तक कोई वास्ता न रहा हो, आखिरकार उसे आज रामपुर तिराहे की याद कैसे आ गई?

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