बनारस से प्रयागराज तक बुलेट रफ्तार से चलेंगी ट्रेनें, महाकुंभ के पहले PM दिसंबर में दे सकते हैं बढ़ा तोहफा
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बनारस से प्रयागराज तक बुलेट रफ्तार से चलेंगी ट्रेनें, महाकुंभ के पहले PM दिसंबर में दे सकते हैं बढ़ा तोहफा

Prayagraj Varanasi train: वाराणसी और प्रयागराज के बीच अब ट्रेनें 130 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलेंगी, जिससे यात्रा का समय घट जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस रेल लाइन का उद्घाटन करेंगे. इससे दोनों शहरों के बीच यात्रा महज दो घंटे में पूरी हो सकेगी. 

 

Varanasi to Prayagraj Trains

Prayagraj Varanasi train: अब प्रयागराज और वाराणसी के बीच नई रेल लाइन की शुरूआत से यात्रियों के लिए यह मार्ग न केवल तेज़ बल्कि ज्यादा सुविधाजनक भी हो जाएगा, और महाकुंभ के दौरान यात्रा करना और भी आसान हो जाएगा.
इस पर ट्रेनें 130 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ेंगी, जिससे यात्रा का समय कम हो जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 दिसंबर को इस नई रेल लाइन का उद्घाटन कर सकते हैं, जिससे इस रूट पर सफर करने वाले यात्रियों को एक बड़ी राहत मिलेगी.

नई रेल लाइन से घटेगा समय
वाराणसी से झूंसी तक दूसरी रेल लाइन के जुड़ने से यह यात्रा अब पहले से कहीं ज्यादा तेज़ होगी. इस नई लाइन के माध्यम से प्रयागराज से वाराणसी तक का सफर मात्र दो घंटे में पूरा हो सकेगा. वर्तमान में यह यात्रा तीन घंटे से अधिक समय लेती थी.

नई रेल लाइन का उद्घाटन 13 दिसंबर को
वाराणसी से झूंसी तक के दोहरीकरण और विद्युतीकरण का काम पूरा हो चुका है, और इस लाइन पर पहली ट्रेन 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरी झंडी दिखा सकते हैं. इस नई लाइन से यात्रियों को भारी फायदा होगा, और विशेष रूप से महाकुंभ के समय में ट्रेनों की गति और संख्या में वृद्धि की जा सकेगी.

महाकुंभ में ट्रेनों की गति और संख्या में वृद्धि
महाकुंभ के दौरान, अधिक संख्या में ट्रेनों का संचालन होगा. इसके लिए इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट स्पेशल ट्रेनों का परिचालन किया जाएगा, जो बिना इंजन को रिवर्स किए तेज गति से चल सकेंगी. इसके अलावा, वंदे भारत ट्रेन भी इस रूट पर 130 किमी प्रति घंटा की गति से दौड़ेगी, जबकि अभी इसकी रफ्तार 110 किमी प्रति घंटा है.

नए रेल पुल और कनेक्टिविटी
वाराणसी से झूंसी रेलवे स्टेशन और झूंसी-दारागंज के नए रेल पुल का काम भी पूरा हो चुका है. इस रेल लाइन के जुड़ने से प्रयागराज और वाराणसी के बीच यात्रा और भी आसान हो जाएगी. इसके साथ ही पूर्वोत्तर भारत की ट्रेनों का संचालन भी बेहतर तरीके से किया जा सकेगा.

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