कुछ लोगों के कान में अगर 'ओम' और 'गाय' शब्‍द पड़ता है तो उनके बाल खड़े हो जाते हैं: PM मोदी
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कुछ लोगों के कान में अगर 'ओम' और 'गाय' शब्‍द पड़ता है तो उनके बाल खड़े हो जाते हैं: PM मोदी

उन्‍होंने कहा कि पर्यावरण और पशु धन हमेशा से भारत के आर्थिक चिंतन का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है.

कुछ लोगों के कान में अगर 'ओम' और 'गाय' शब्‍द पड़ता है तो उनके बाल खड़े हो जाते हैं: PM मोदी

मथुरा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां पशु आरोग्‍य से जुड़े कार्यक्रमों के साथ स्‍वच्‍छता ही सेवा प्रोग्राम की शुरुआत की. उन्‍होंने कहा कि पर्यावरण और पशु धन हमेशा से भारत के आर्थिक चिंतन का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है. किसानों की आय बढ़ाने में पशुपालन का बहुत बड़ा रोल है. इन पर किया गया निवेश ज्यादा कमाई कराता है. दूध उत्‍पादन के लिए कामधेनु आयोग बनाया गया है. दूध के उत्‍पादन में सात फीसद की बढ़ोतरी हुई है. इससे किसानों की आय में 13 फीसदी बढ़त हुई है. पूरी कोशिश है कि हर घर के पास गाय हो. इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा, ''इस देश का दुर्भाग्‍य है कि कुछ लोगों के कान पर अगर 'ओम' और 'गाय' शब्‍द पड़ता है तो उनके बाल खड़े हो जाते हैं. उनको लगता है कि देश 16वीं शताब्‍दी में चला गया. ऐसा ज्ञान, देश बर्बाद करने वालों ने देश बर्बाद करने में कुछ नहीं छोड़ा है.''

पर्यावरण और पशुधन
पीएम मोदी ने कहा कि पूरी दुनिया पर्यावरण को बचाने के लिए रोल मॉडल ढूंढ रही है. बृजभूमि ने हमेशा से ही पूरे विश्व और पूरी मानवता को प्रेरित किया है. आज पूरा विश्व पर्यावरण संरक्षण के लिए रोल मॉडल ढूंढ रहा है. लेकिन भारत के पास भगवान श्रीकृष्ण जैसा प्रेरणा स्रोत हमेशा से रहा है, जिनकी कल्पना ही पर्यावरण प्रेम के बिना अधूरी है. प्रकृति, पर्यावण और पशुधन के बिना जितने अधूरे खुद हमारे आराध्य नजर आते हैं उतना ही अधूरापन हमें भारत में भी नजर आएगा. पर्यावण और पशुधन हमेशा से ही भारत के आर्थिक चिंतन का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है. पीएम मोदी ने कहा कि स्‍वच्‍छता ही सेवा कार्यक्रम विशेष रूप से प्लास्टिक निवारण के लिए समर्पित है. बृजवासी अच्छी तरह से जानते हैं कि पशुओं की मौत के लिए प्लास्टिक जिम्मेदार हैं. सिंगल यूज प्लास्टिक से हमको आज़ाद होना पड़ेगा.

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स्‍वच्‍छता ही सेवा
पीएम मोदी ने कहा कि स्वच्छ भारत हो, जल जीवन मिशन हो या फिर कृषि और पशुपालन को प्रोत्साहन. प्रकृति और आर्थिक विकास में संतुलन बनाकर ही हम सशक्त और नए भारत के निर्माण की तरफ आगे बढ़ रहे हैं. आज स्वच्छता ही सेवा अभियान की शुरुआत हुई है, नेशनल एनीमल डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम को भी लॉन्च किया गया है. पशुओं के स्वास्थ्य, पोषण, डेरी उद्योग और कुछ अन्य परियोजनाएं भी शुरु हुई हैं. इसके अलावा मथुरा के इंफ्रास्ट्रक्चर और पर्यटन से जुड़े कई परियोजनाओं शुभारंभ भी हुआ है. महात्मा गांधी 150वीं जन्‍मशती का ये प्रेरणा का वर्ष है. स्वच्छता ही सेवा के पीछे भी यही भावना छुपी हुई है.

उन्‍होंने कहा कि आज से शुरू हो रहे इस अभियान को इस बार विशेष तौर पर प्लास्टिक के कचरे से मुक्ति के लिए समर्पित किया गया है. प्लास्टिक से होने वाली समस्या समय के साथ गंभीर होती जा रही है. आप ब्रजवासी तो अच्छी तरह जानते है कैसे प्लास्टिक पशुओं की मौत का कारण बन रही है. इसी तरह नदियां, तालाबों में रहने वाले प्राणियों का वहां की मछलियों का प्लास्टिक को निगलने के बाद जिन्दा बचना मुश्किल हो जाता है. अब सिंगल यूज प्लास्टिक से हमें छुटकारा पाना ही होगा. हमें कोशिश करनी है कि 2 अक्टूबर तक अपने दफ्तरों, घरों और अपने आस पास के वातावरण को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करना है.

उन्‍होंने कहा कि मैं देश भर के गांव-गांव में काम कर रहे हर सेल्फ हेल्प ग्रुप से, सामाजिक संगठनों से, युवा मंडलों से, महिला मंडलों से, क्लबों से, स्कूलों और कॉलेजों से, सरकारी और निजी संस्थानों से, हर व्यक्ति हर संगठन से इस अभियान से जुड़ने का आग्रह करता हूं. स्वच्छता ही सेवा कार्यक्रम के साथ ही कुछ परिवर्तन हमें अपनी आदतों में भी करने होंगे. हमें ये तय करना है कि हम जब भी बाजार में कुछ भी खरीददारी करने जाए, तो साथ में कपड़े या जूट का झोला जरूर ले जाएं. पैकिंग के लिए दुकानदार प्लास्टिक का उपयोग कम से कम करें. पर्यावरण और स्वास्थ्य से जुड़ा एक विषय है जल संकट. जल संकट का उपाय है- जल जीवन मिशन. इस मिशन के तहत जल संरक्षण और हर घर जल पहुंचाने पर जोर दिया जा रहा है. इसका बहुत बड़ा लाभ गांवों में रहने वालों को, किसानों को मिलेगा. इससे माताओं-बहनों को सुविधा मिलेगी. किसानों की आय बढ़ाने में पशुपालन और दूसरे व्यवसायों की भी बहुत बड़ी भूमिका है. पशुपालन हो, मछली पालन हो या मधुमक्खी पालन, इन पर किया गया निवेश ज्यादा कमाई कराता है. इसके लिए बीते 5 वर्षों में कृषि से जुड़े दूसरे विकल्पों पर हम एक नई Approach के साथ आगे बढ़े हैं.

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