बाबरी विध्वंस केस: सुप्रीम कोर्ट ने विशेष CBI अदालत को फैसला सुनाने के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया
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बाबरी विध्वंस केस: सुप्रीम कोर्ट ने विशेष CBI अदालत को फैसला सुनाने के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया

इस केस में वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती समेत कुल 49 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें 17 की मौत हो चुकी है. जबकि अन्य 32 आरोपियों के बयान विशेष सीबीआई कोर्ट में दर्ज हो गए हैं.

वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी (R) और मुरली मनोहर जोशी(L).

नई दिल्ली: बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ की स्पेशल सीबीआई कोर्ट को फैसला सुनाने के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया है. पहले सीबीआई कोर्ट को मामले में सुनवाई पूरी करने के लिए 31 अगस्त तक की मोहलत दी गई थी. बाबरी विध्वंस केस की सुनवाई कर रहे विशेष जज एसके यादव की रिपोर्ट देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई पूरी करने की समय सीमा एक महीना और बढ़ाकर 30 सितंबर कर दिया है.

बाला साहेब ठाकरे भी थे केस में आरोपी
इस केस में वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती समेत कुल 49 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें 17 की मौत हो चुकी है. जबकि अन्य 32 आरोपियों के बयान विशेष सीबीआई कोर्ट में दर्ज हो गए हैं. बाला साहेब ठाकरे और अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णुहरी डालमिया भी इस केस में आरोपी थे. अन्य आरोपियों में साध्वी ऋतंभरा, राम विलास वेदांती, साक्षी महाराज, चंपत राय, महंत नृत्य गोपाल दास शामिल हैं.

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आडवाणी-जोशी दर्ज करा चुके हैं बयान
अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को राम मंदिर आंदोलन से जुड़े कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद ढहा दी थी. इस आंदोलन का नेतृत्व करने वालों में वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी भी शामिल थे. इन दोनों को भी बाबरी विध्वंस मामले में आरोपी बनाया गया था. दोनों नेता विशेष सीबीआई अदालत के समक्ष अपना बयान दर्ज करा चुके हैं. इसके अलावा यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, उमा भारती और विनय कटियार जैसे भाजपा के कई बड़े नेता भी बाबरी विध्वंस केस में आरोपी हैं.

क्या है बाबरी विध्वंस का पूरा मामला?
हिंदू पक्ष का दावा था कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण मुगल शासक बाबर ने 1528 में श्रीराम जन्मभूमि पर बने रामलला के मंदिर को तोड़कर करवाई थी. जबकि मुस्लिम पक्ष का दावा था कि बाबरी मस्जिद किसी मंदिर को तोड़कर नहीं बनाई गई थी. वर्ष 1885 में पहली बार यह मामला अदालत में पहुंचा था. भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने 90 के दशक में राम रथ यात्रा निकाली और राम मंदिर आंदोलन ने जोर पकड़ा. 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद को तोड़ दिया. तबसे ही यह मामला कोर्ट में चल रहा था. 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए विवादित भूमि पर मंदिर निर्माण का आदेश दिया. जबकि मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही किसी महत्वपूर्ण स्थान पर 5 एकड़ जमीन मस्जिद निर्माण के लिए दी.

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