बाबरी केस में बरी होने पर CM योगी ने आडवाणी-जोशी को दी बधाई, दोनों बोले 'जय श्रीराम'
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बाबरी केस में बरी होने पर CM योगी ने आडवाणी-जोशी को दी बधाई, दोनों बोले 'जय श्रीराम'

बाबरी विध्वंस केस में लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि 6 दिसंबर, 1992 की घटना के पीछे कोई सुनियोजित साजिश नहीं थी. उन्होंने कहा कि घटना पूर्व नियोजित नहीं थी, बल्कि अचानक हुई.

मुरली मनोहर जोशी (L), लालकृष्ण आडवाणी (R).

लखनऊ: बाबरी विध्वंस केस (Babri Demolition Case) में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती समेत सभी 32 आरोपियों को विशेष सीबीआई अदालत (Special CBI Court Lucknow) ने बुधवार को बाइज्जत बरी कर दिया. इस फैसले के बाद भाजपा में खुशी की लहर दौड़ गई. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर केस में बाइज्जत बरी होने पर अपने बुजुर्ग नेताओं को बधाई दी. वहीं, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद लालकृष्ण आडवाणी से मिलने उनके घर पहुंचे. इधर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी आडवाणी और जोशी से फोन पर बातचीत कर उन्हें बधाई दी.

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आडवाणी ने कहा, 'जय श्रीराम'
अदालत का फैसला आते ही मीडिया का एक हुजूम लालकृष्ण आडवाणी के घर पहुंच गया. आडवाणी ने उनसे बातचीत में कहा कि उन्हें इस फैसले से बहुत खुशी है. बहुत समय बाद एक खुशखबरी मिली है. उन्होंने जय श्रीराम का नारा भी लगाया. देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री  ने कहा, ''इस अवसर पर कहूंगा जय श्रीराम.'' आडवाणी जब मीडिया से बात कर रहे थे तो उनके साथ उनकी बेटी प्रतिभा आडवाणी समेत परिवार के अन्य सदस्य भी मौजूद रहे.

मुरली मनोहर जोशी ने लखनऊ स्थित अपने आवास पर मीडिया से बातचीत में कहा कि राम मंदिर का आंदोलन देश की अस्मिता से जुड़ा था. उन्होंने कहा, ''राम मंदिर का निर्माण देश के एक महत्वपूर्ण आंदोलन के रूप में सामने आया था. इसका उद्देश्य अपनी अस्मिता को और देश की मर्यादाओं को सामने रखने का था. वह आज पूरा होने जा रहा है. राम मंदिर का निर्माण भी होने जा रहा है. इस अवसर पर तो मैं यही कहूंगा, जय जय सियाराम, सबको सन्मति दे भगवान.''

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बाबरी विध्वंस केस में लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि 6 दिसंबर, 1992 की घटना के पीछे कोई सुनियोजित साजिश नहीं थी. उन्होंने कहा कि घटना पूर्व नियोजित नहीं थी, बल्कि अचानक हुई. इस केस में पेश किए गए सबूत आरोपियों को दोषी मानने के लिए पर्याप्त नहीं हैं. जज ने कहा कि ढांचा गिराने में विश्व हिंदू परिषद का कोई भूमिका नहीं थी, बल्कि कुछ असामाजिक तत्वों ने पीछे से पत्थरबाजी की. ढांचा गिराने में कुछ शरारती तत्वों का हाथ था. यह कहते हुए जज एसके यादव ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह समेत अन्य सभी 32 आरोपियों को बाइज्जत करी कर दिया.

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