बाबरी विध्वंस केस के फैसले पर CM योगी बोले- सत्य की जीत हुई, षड्यंत्र रचने वाले मांगे माफी
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बाबरी विध्वंस केस के फैसले पर CM योगी बोले- सत्य की जीत हुई, षड्यंत्र रचने वाले मांगे माफी

सीएम योगी ने कहा, ''कोर्ट का यह फैसला स्पष्ट करता है कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा राजनीतिक पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर वोट बैंक की राजनीति के लिए देश के पूज्य संतों, भाजपा नेताओं को झूठे मुकदमों में फंसाकर बदनाम किया गया."

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. (फाइल फोटो)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाबारी विध्वंस केस में सीबीआई की विशेष अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सत्यमेव जयते के अनुरूप सत्य की जीत हुई है. उन्होंने कहा कि कोर्ट का यह फैसला स्पष्ट करता है कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा राजनीतिक पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर वोट बैंक की राजनीति के लिए देश के पूज्य संतों, भारतीय जनता पार्टी के नेताओं, विश्व हिंदू परिषद से जुड़े वरिष्ठ पदाधिकारियों एवं समाज से जुड़े विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों को बदनाम करने की नीयत से उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाकर बदनाम किया गया. मुख्यमंत्री योगी ने कहा, इस षड्यंत्र के लिए जिम्मेदार देश की जनता से माफी मांगे.

स्पेशल CBI कोर्ट ने केस के सभी 32 आरोपियों को बरी किया
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया गया था. लखनऊ स्थित सीबीआई की विशेष अदालत के जज सुरेंद्र कुमार यादव ने ने इस मामले में बुधवार को फैसला सुनाया. उन्होंने कहा कि घटना पूर्व नियोजित नहीं थी, बल्कि अचानक हुई. इस केस में पेश किए गए सबूत आरोपियों को दोषी मानने के लिए पर्याप्त नहीं हैं. जज ने कहा कि ढांचा गिराने में विश्व हिंदू परिषद का कोई भूमिका नहीं थी, बल्कि कुछ असामाजिक तत्वों ने पीछे से पत्थरबाजी की. ढांचा गिराने में कुछ शरारती तत्वों का हाथ था. यह कहते हुए जज एसके यादव ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह समेत अन्य सभी 32 आरोपियों को बाइज्जत करी कर दिया.

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जिन्हें आरोपी बनाया गया, उन्होंने ढांचा बचाने की कोशिश की
विशेष सीबीआई कोर्ट के जज एसके यादव ने फैसला सुनाते हुए कई अहम टिप्पणियां भी कीं. उन्होंने कहा कि जिन लोगों को केस में आरोपी बनाया गया, उन्होंने बाबरी मस्जिद के ढांचे को बचाने की कोशिश की थी. क्योंकि भीड़ वहां पर अचानक से आई और ढांचा गिरा दिया. इस केस में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डॉ. राम विलास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास, सतीश प्रधान, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश शर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दुबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रज भूषण शरण सिंह, कमलेश त्रिपाठी, रामचंद्र खत्री, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमर नाथ गोयल, जयभान सिंह पवैया, महाराज स्वामी साक्षी, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, आरएन श्रीवास्तव, आचार्य धर्मेंद्र देव, सुधीर कुमार कक्कड़ और धर्मेंद्र सिंह गुर्जर आरोपी बनाए गए थे.

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कुल 49 आरोपी बनाए गए थे, इनमें 17 की मौत हो चुकी है
इन 32 में से 26 आरोपी बुधवार को लखनऊ कोर्ट पहुंचे. जबकि लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, सतीश प्रधान और नृत्य गोपास दास वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत की कार्यवाही में शामिल हुए. इन तमाम आरोपियों के सामने जज सुरेंद्र कुमार यादव ने अपना फैसला सुनाया. इस केस की शुरुआत में कुल 49 अभियुक्त बनाए गए थे. इनमें से 17 की मौत पहली ही हो चुकी है. मरने वालों में बाला साहेब ठाकरे, अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णु हरि डालमिया, मोरेश्वर सावें, महंत अवैद्यनाथ, महामंडलेश्वर जगदीश मुनि महाराज, बैकुंठ लाल शर्मा, परमहंस रामचंद्र दास, डॉ. सतीश नागर, तत्कालीन एसएसपी डीबी राय, रमेश प्रताप सिंह, महात्यागी हरगोविंद सिंह, लक्ष्मी नारायण दास, राम नारायण दास और विनोद कुमार बंसल का नाम शामिल है.

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