यह अभियान गुरुवार दोपहर 12 बजे खत्म हुआ, जिला प्रशासन के मुताबिक डेढ़ लाख से अधिक लोगों इस अभियान का हिस्सा बन चुके थे. इसके पहले इंग्लैंड की एक संस्था के नाम यह रिकार्ड है जिसने 20 हजार वीडियो अपलोड किए थे.
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पवन सेंगर/गोरखपुर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत उत्तर प्रदेश के आम और खास लोग सैल्यूट की मुद्रा में वन्दे मातरम् गायन करने के साथ उसकी वीडियो अपलोड कर विश्व रिकॉर्ड बनाने के अभियान का हिस्सा बने. यह अभियान गुरुवार दोपहर 12 बजे खत्म हुआ, जिला प्रशासन के मुताबिक डेढ़ लाख से अधिक लोगों इस अभियान का हिस्सा बन चुके थे. इसके पहले इंग्लैंड की एक संस्था के नाम यह रिकार्ड है जिसने 20 हजार वीडियो अपलोड किए थे. एडीएम वित्त व राजस्व राजेश सिंह के मुताबिक गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की तरफ से वीडियो की स्क्रूटनी शुरू हो गई है. इसके बाद ही सही संख्या का पता चलेगा कि मानक के मुताबिक अपलोड हुई वीडियो की असल संख्या क्या है. उसके बाद अधिकृत रूप से रिकॉर्ड की घोषणा की जाएगी.
एडीएम श्री सिंह ने बताया कि दो दिन में पूरे प्रदेश से डेढ़ लाख से अधिक लोगों ने वीडियो अपलोड किया है. बुधवार की रात तक करीब डेढ़ लाख वीडियो अपलोड होने की सूचना थी. अपलोड वीडियो की गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड संस्था के सदस्य स्क्रूटनी कर रहे हैं. मानक पर सही मिलने वाले अपलोड वीडियो की वास्तविक संख्या देखने के बाद निर्णय लिया जाएगा.
बुधवार की सुबह से गुरुवार 12 बजे तक चला अभियान
चौरीचौरा शताब्दी महोत्सव में शहीदों की याद में वन्दे मातरम् गायन का विश्व कीर्तिमान बना दुनिया भर में पहुंचाने के लिए अभियान बुधवार की सुबह 10 बजे से लेकर गुरुवार की दोपहर 12 बजे तक चला. इसके तहत वन्दे मातरम् के पहले छंद को गाकर वीडियो अपलोड किया जाना था. इसके लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड की तरफ से बुधवार की सुबह ही लिंक https://chaurichauramahotsav.in/ उपलब्ध कराया गया था. बुधवार की देर शाम तक ही करीब 1.50 लाख वीडियो अपलोड हो चुकी थी. गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब शताब्दी महोत्सव का शुभारंभ करने वेब लिंक के जरिए कार्यक्रम से जुड़े तो मुख्य मंच से भी यह जानकारी साझा की गई.
1876 में हुई वंदे मातरम् की रचना
बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने राष्ट्रगान की रचना 1876 में की. उस समय भारत पर ब्रिटिश शासकों का दबदबा था. ब्रिटेन का एक गीत था 'गॉड! सेव द क्वीन'. भारत के हर समारोह में इस गीत को अनिवार्य कर दिया गया. बंकिमचंद्र तब सरकारी नौकरी में थे. अंग्रेजों के बर्ताव से बंकिम को बहुत बुरा लगा और इसी के बाद उन्होंने 'वंदे मातरम' की रचना की. आजादी के बाद संविधान सभा में 24 जनवरी 1950 में 'वन्दे मातरम्' को राष्ट्रगीत के रूप में अपनाए जाने की घोषणा की.
राष्ट्रीय गीत -वंदे मातरम्
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!
सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्,
शस्यश्यामलाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्!
शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्,
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्,
सुखदाम् वरदाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्॥
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