CBI ने हाई कोर्ट में बताया- तेज गति से चल रही है हाथरस कांड की जांच, जुटा रहे साइंटिफिक एविडेंस
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CBI ने हाई कोर्ट में बताया- तेज गति से चल रही है हाथरस कांड की जांच, जुटा रहे साइंटिफिक एविडेंस

जस्टिस पंकज मित्थल और जस्टिस राजन रॉय की बेंच ने हाथरस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया था. दो नवंबर को सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने 25 नवंबर को सीबीआई से जांच की स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को कहा था.

इलाहाबाद हाई कोर्ट का लखनऊ बेंच.

लखनऊ: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में बुधवार को हाथरस केस सुनवाई हुई. यूपी सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता बीके शाही ने अदालत में पेश हुए, जबकि पीड़ित परिवार की तरफ से वकील सीमा कुशवाहा ने पैरवी की. केस की जांच कर रही सीबीआई टीम भी कोर्ट में पहुंची. सीबीआई ने हाथरस केस में अब तक हुई जांच के बारे में अदालत को जानकारी दी.

हाथरस केस की जांच के बारे में CBI ने कोर्ट को दी जानकारी
सीबीआई ने अदालत को बताया कि हाथरस केस की जांच तेज गति से चल रही है. वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाने के लिए इस मामले के चारों आरोपितों का गांधीनगर में पॉलीग्राफ और बीईओएस (ब्रेन इलेक्ट्रिकल ऑसिलेशन सिग्नेचर) टेस्ट कराया जा रहा है.  दो नवंबर को सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने 25 नवंबर को सीबीआई से जांच की स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को कहा था. पीड़ित पक्ष की वकील सीमा कुशवाहा ने बताया कि हाईकोर्ट में आज सुनवाई हुई. सीबीआई ने कोर्ट को स्टेटस रिपोर्ट दिखाई. सीबीआई आधिकारिक तौर पर रजिस्ट्री के जरिए स्टेटस रिपोर्ट भेजेगी.

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हाथरस डीएम के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने से कोर्ट नाराज
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने हाथरस डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार पर अब तक कोई एक्शन नहीं लेने के लिए राज्य सरकार पर नाराजगी जताई. राज्य सरकार की तरफ से कोर्ट में तर्क देते हुए अपर महाधिवक्ता बीके शाही ने शपथपत्र दाखिल किया गया. अब मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी.  जस्टिस पंकज मित्थल और जस्टिस राजन रॉय की बेंच ने हाथरस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया था. 

बता दें कि बीते 2 नवंबर को सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट में उत्तर प्रदेश के एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार, गृह सचिव तरुण गाबा व हाथरस के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक विक्रांत वीर कोर्ट में पेश हुए थे. जिलाधिकारी हाथरस प्रवीण कुमार के संबंध में कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि विवेचना के दौरान क्या उन्हें हाथरस में बनाए रखना निष्पक्ष और उचित है? 

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कोर्ट ने कहा था कि हमारे समक्ष भी जो प्रक्रिया चल रही है, उससे वह भी जुड़े हुए हैं. क्या यह उचित नहीं होगा कि सिर्फ निष्पक्षता व पारदर्शिता के लिए इन प्रक्रियाओं के दौरान उन्हें कहीं और शिफ्ट कर दिया जाए? इस पर राज्य सरकार के अधिवक्ता ने अगली सुनवाई पर सरकार का रुख स्पष्ट करने की बात कही थी. लेकिन राज्य सरकार की ओर से अब तक हाथरस जिलाधिकारी के खिलाफ कोई एक्शन नहीं​ लिए जाने पर कोर्ट ने अपनी नाराजगी व्यक्त की.

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यह है पूरा मामला
हाथरस जिले के चंदपा थाना के बूलगढ़ी गांव में 14 सितंबर को 4 युवकों ने कथित तौर पर 19 साल की एक दलित लड़की से सामूहिक दुष्कर्म किया था. इस दौरान लड़की को गंभीर चोट आई थीं. उसे इलाज के लिए पहले जिला अस्पताल, फिर अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में रखा गया था. हालत बिगड़ने पर पीड़िता को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल लाया गया, जहां इलाज के दौरान 29 सितंबर को उसकी मौत हो गई थी. पीड़िता की 30 सितंबर को रात के अंधेरे में उसके घर के पास ही अंत्येष्टि कर दी गई थी. उसके परिवार का आरोप है कि स्थानीय पुलिस ने जल्दबाजी में अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर किया.

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जबकि स्थानीय पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि परिवार की इच्छा के मुताबिक ही अंतिम संस्कार किया गया. वहीं पीड़िता के पोस्टमार्टम और फॉरेंसिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए पुलिस ने उसके साथ गैंगरेप होने की बात को नकार दिया था. योगी सरकार ने इस मामले की जांच के लिए गृह सचिव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय एसआईटी गठित की थी, जिसने अपनी जांच पूरी कर ली है. बाद में सीएम ने हाथरस केस की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया था. अब सीबीआई की 15 सदस्यीय टीम इस मामले की बीते डेढ़ महीने से जांच कर रही है.

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