बाबरी विध्वंस मामला एक बार फिर कोर्ट में पहुंच गया है. लखनऊ की विशेष सीबीआई कोर्ट के फैसले के खिलाफ शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल हुई है.
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मनमीत गुप्ता\लखनऊ: बाबरी विध्वंस मामला एक बार फिर कोर्ट में पहुंच गया है. लखनऊ की विशेष सीबीआई कोर्ट के फैसले के खिलाफ शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल हुई है. सीबीआई कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाजी महबूब और हाजी अखलाक अहमद ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की है.
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क्या बोले याचिकाकर्ता
याचिका दाखिल करने वाले बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार हाजी महबूब का कहना है कि सीबीआई कोर्ट ने जिन आरोपियों को बरी किया, वह उनकी निगाह में मुजरिम थे. इसलिए उन्होंने सीबीआई कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है. जिसको हाईकोर्ट ने स्वीकार भी कर लिया है.
हाजी महबूब का कहना है कि "मुस्लिम समाज ने राम मंदिर के फैसले को स्वीकार किया है, लेकिन राम मंदिर के फैसले से इसका कोई मतलब नहीं है. कोर्ट ने माना है कि वहां मस्जिद थी वहां नमाज पढ़ी जाती थी, लेकिन उसके बाद राम मंदिर के पक्ष में फैसला दिया, जिसे हमने स्वीकार किया, लेकिन यह मसला मस्जिद को तोड़ने का है, इसकी सजा आरोपियों को होनी चाहिए".
क्या है CBI कोर्ट का फैसला
आपको बता दें कि पिछले साल 30 सितंबर 2020 को सीबीआई कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि, आरोपियों के खिलाफ ढांचा गिराने के पर्याप्त सबूत नहीं है, बाबरी ढांचे को अराजक तत्वों ने गिराया था और इसमें विश्व हिंदू परिषद का हाथ नहीं है.
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