UP Politics: मैनपुरी में हार से बिगड़ा BJP का पूरा समीकरण? पार्टी ने बदली रणनीति, तैयार किया नया रोडमैप
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UP Politics: मैनपुरी में हार से बिगड़ा BJP का पूरा समीकरण? पार्टी ने बदली रणनीति, तैयार किया नया रोडमैप

BJP Planning for 2024 Election: मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में हार के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपनी रणनीति बदल दी है और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए नया रोडमैप तैयार किया है.

UP Politics: मैनपुरी में हार से बिगड़ा BJP का पूरा समीकरण? पार्टी ने बदली रणनीति, तैयार किया नया रोडमैप

BJP Strategy for Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव (Mainpuri By-Election 2022) में हार के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) का समीकरण बदल गया है. इसके बाद पार्टी 2023 के शहरी स्थानीय निकाय चुनाव (UP Nikay Chunav 2023) और 2024 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) के लिए बदली रणनीति पर काम कर रही है और इसके लिए नया रोडमैप तैयार किया है. बता दें कि 8 दिसंबर को घोषित मैनपुरी चुनाव के नतीजों में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की डिंपल यादव (Dimple Yadav) ने बीजेपी के रघुराज सिंह शाक्य की हरा दिया था.

बीजेपी अब गुजरात मॉडल को कर रही है पेश

मैनपुरी में हार के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) अब उत्तर प्रदेश में कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए गुजरात में जीत का सहारा लेने का फैसला किया है. पार्टी अपने कार्यकर्ताओं को गुजरात विधानसभा चुनाव में मिली बंपर जीत से प्रेरणा लेने की सलाह दे रही है. बता दें कि बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव और 2017 से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी 'गुजरात मॉडल' के दम पर जीत हासिल की थी.

बीजेपी ने बदली रणनीति, तैयार किया नया रोडमैप

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Election 2022) की जीत को 'सफलता मॉडल' के रूप में चुना है. बीजेपी ने हाल ही में दिल्ली में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में 2024 लोकसभा चुनाव और यूपी निकाय चुनाव को लेकर एक रोडमैप तैयार किया गया था. इसके बाद लखनऊ में एक दिवसीय राज्य कार्यकारिणी की भी बैठक हुई, जिसमें केंद्रीय नेतृत्व की योजवाओं को लागू करने की रणनीति पर चर्चा हुई.

यूपी मॉडल से ज्यादा गुजरात मॉडल पर क्यों है बीजेपी को भरोसा

रिपोर्ट के अनुसार, बीजेपी (BJP) के एक नेता ने बताया है कि पार्टी को उत्तर प्रदेश में 2014 की तुलना में 2019 के लोकसभा चुनाव में गिरावट आई. इसी तरह 2022 के चुनाव में भी 2017 के मुकाबले वोट प्रतिशत कम हुआ. उन्होंने बताया कि इसके पीछे जातिगत समीकरण और एंटी-इनकंबेंसी हो सकती है. उपचुनाव में भी पार्टी ने आजमगढ़ और रामपुर में जीत दर्ज की, लेकिन अंतर कम था. वहीं, मैनपुरी और खतौली में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा.

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