चुनावी मैदान में उतरी मां-बेटी की स्‍टोरी भी जान लीजिए जो एक-दूसरे के थीं खिलाफ
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चुनावी मैदान में उतरी मां-बेटी की स्‍टोरी भी जान लीजिए जो एक-दूसरे के थीं खिलाफ

यूपी चुनाव में कृष्णा पटेल और अनुप्रिया पटेल दोनों के खेमों वाले अपना दल ने किस्मत आजमाई. इसमें अनुप्रिया पटेल के अपना दल (एस) ने 12 सीटें भी जीत लीं. वहीं उनकी मां कृष्णा पटेल हार गईं.

प्रतीकात्मक फोटो

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में मां-बेटी (कृष्णा पटेल-अनुप्रिया पटेल) की अगुवाई वाले अपना दल के दोनों घटकों ने किस्मत आजमाई. हालांकि, अनुप्रिया के नेतृत्व वाले अपना दल (सोनेलाल) ने 12 सीटें जीत लीं जबकि दूसरे धड़े का नेतृत्व करने वाली उनकी मां कृष्णा पटेल प्रतापगढ़ में हार गईं.

  1. अपना दल के दोनों खेमों ने आजमाई किस्मत
  2. अनुप्रिया पटेल के अपना दल ने जीती 12 सीटें
  3. कृष्णा पटेल प्रतापगढ़ में हार गईं

अपना दल का है बीजेपी से गठबंधन

केंद्र सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व वाले अपना दल (एस) ने भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन किया है, जबकि उनकी मां कृष्णा पटेल के अपना दल (कमेरावादी) ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया है. अपना दल (एस) के 17 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे.

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यूपी चुनाव में जीते 12 उम्मीदवार

निर्वाचन आयोग के अनुसार, अपना दल (एस) के 12 उम्मीदवारों को जीत मिली है. इनमें उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री और अपना दल (एस) के उम्मीदवार जय कुमार सिंह जैकी ने 78,165 मत पाकर अपने निकटतम प्रतिद्वंदी समाजवादी पार्टी के रामेश्वर दयाल को 3,797 मतों के अंतर से हरा दिया.

उधर, समाजवादी पार्टी के गठबंधन में शामिल अपना दल (कमेरावादी) की अध्यक्ष कृष्णा पटेल प्रतापगढ़ में गठबंधन की उम्मीदवार रहीं, जिनको कुल 64,699 मत मिले. भारतीय जनता पार्टी के राजेंद्र कुमार ने 89,762 मत पाकर कृष्णा पटेल को 25,063 मतों से हरा दिया.

प्रतापगढ़ सीट पर हुआ घमासान

भाजपा गठबंधन ने प्रतापगढ़ सीट पहले अनुप्रिया पटेल के अपना दल (एस) के लिए छोड़ी थी. लेकिन अपना दल (कमेरावादी) से मां कृष्णा पटेल के चुनाव मैदान में आने से विपरीत ध्रुवों पर रहने के बावजूद अनुप्रिया ने मां के सम्मान में प्रतापगढ़ से अपनी पार्टी के उम्मीदवार को हटाकर सीट भाजपा को वापस कर दी.

अति पिछड़ी कुर्मी बिरादरी में है पकड़

गौरलतब है कि अति पिछड़ी कुर्मी बिरादरी से आने वाले डॉक्टर सोनेलाल पटेल ने अपना दल की स्थापना की थी. लेकिन उनके निधन के बाद पार्टी का नेतृत्व उनकी पत्‍नी कृष्णा पटेल ने संभाला. तब अनुप्रिया अपनी मां के साथ पार्टी की मजबूती के लिए प्रदेश स्तर पर सक्रिय हुईं. 2012 में अपना दल से अनुप्रिया पटेल वाराणसी की रोहनिया सीट से विधान सभा सदस्य चुनी गईं और इसके बाद 2014 के लोक सभा चुनाव में अपना दल ने भाजपा से गठबंधन किया.

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लोकसभा चुनाव में इस पार्टी से अनुप्रिया पटेल समेत दो सांसद विजयी हुए लेकिन थोड़े दिनों बाद में मां-बेटी के बीच मतभेद शुरू हो गया. अनुप्रिया को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पहली सरकार में भी मंत्री बनाया.

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