उमा भारती ने कहा कि अदालत ने एक निष्पक्ष किंतु दिव्य निर्णय दिया है.
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नई दिल्ली: अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद (Ayodhya Case) पर ऐतिहासिक फैसला आने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेत्री उमा भारती (Uma Bharti) का कहना है कि वह सबसे पहले अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवानी (Lal Krishna Advani) के घर जाकर उनको प्रणाम करना चाहेंगी.
पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने ट्वीट में लिखा, मैं हिमालय, उत्तराखंड गंगा किनारे से अभी-अभी दिल्ली पहुंची हूं. आज बीजेपी के पदाधिकारियों की बैठक है. रास्ते में ही मैंने यह फ़ैसला सुना तो मैं सबसे पहले आडवाणी जी के घर पहुंचना चाहती हूं, मैं उन्हें प्रणाम करूंगी और उन्होंने जो सीख दी है, उसपे आगे भी चलूंगी.
#WATCH Uma Bharti,BJP on #AyodhyaVerdict: Court ne ek nishpaksh kintu divya nirnaya diya hai. Main Advani ji ke ghar mein unko maatha tekne aayi hoon, Advani ji hi veh vyakti the jinhone pseudo-secularism ko challenge kiya tha...unhi ki badaulat aaj hum yahan tak pahunche hain. pic.twitter.com/YYtY4RCz06
— ANI (@ANI) November 9, 2019
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राम मंदिर आंदोलन में शामिल रहीं बीजेपी नेत्री ने लगातार एक के बाद एक ट्वीट कर कहा कि आडवाणी जी ही वह भारतीय राजनीति के पुरोधा हैं जिन्होंने छद्म धर्मनिरपेक्षता बनाम राष्ट्रवाद (Pseudo Secularism Vs Nationalism) की बहस भारत के राजनीति के पटल पर छेड़ी थी. उसी बहस के मंथन में से अयोध्या आंदोलन आगे बढ़ा.
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मोदी सरकार में गंगा मंत्रालय का जिम्मा संभाल चुकीं उमा भारती ने लिखा, ''भारत की राजनीति में आडवाणी जी वह पहले नेता थे जिन्होंने छद्म धर्मनिरपेक्षता की चूलें हिला कर रख दी थी. उन्हीं के कारण आज भाजपा इस मुकाम पर है. लोगों ने जाति-संप्रदाय तथा वर्ग भेद से ऊपर उठकर मोदी जी का साथ दिया.''
उन्होंने लिखा कि आज-अभी कुछ मिनटों में जब मैं उनके सामने खड़ी होंगी, तो मुझे लगेगा ही नहीं कि हिमालय पीछे छूट गया है, क्योंकि वो हिमालय जैसे ही हैं - महान और शीतल. ईश्वर उन्हें शतायु करे एवं स्वस्थ रखे.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की खास बातें -
-मुस्लिम अपने साक्ष्यों से यह सिद्ध नहीं कर पाए की विवादित भूमि पर उनका ही एकाआधिकार था.
-Ayodhya Verdict: CJI ने कहा, 'खुदाई में इस्लामिक ढांचे के सबूत नहीं मिले'
-मुस्लिम यह साबित करने में नाकाम रहे कि इस जगह पर बाबरी मस्जिद बनने से पहले उनका अधिकार था.
-ASI की रिपोर्ट खारिज को नहीं कर सकते. ASI की रिपोर्ट में 12वीं सदी के मंदिर के सबूत मिले
-Ayodhya verdict: CJI ने कहा, 'विवादित जमीन का बंटवारा नहीं किया जा सकता'
-ASI की रिपोर्ट से साबित होता है कि मस्जिद खाली जमीन पर नही बनाई गई थी.