मंदिर निर्माण के लिए शुभ समाचार के बीच जानें दूसरी 'अयोध्‍या' की असलियत
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मंदिर निर्माण के लिए शुभ समाचार के बीच जानें दूसरी 'अयोध्‍या' की असलियत

Zee News ने की केपी शर्मा ओली के दावे की पड़ताल.

मंदिर निर्माण के लिए शुभ समाचार के बीच जानें दूसरी 'अयोध्‍या' की असलियत

नई दिल्ली: राम मंदिर के निर्माण के लिए शिलान्‍यास 3 या 5 अगस्‍त को हो सकता है. राम मंदिर ट्रस्‍ट की बैठक में फैसला किया गया कि पीएम मोदी के हाथों ही मंदिर निर्माण का शिलान्‍यास किया जाएगा. लिहाजा सूत्रों के मुताबिक पीएमओ को इन दोनों तिथियों का सुझाव देते हुए पीएम मोदी से कार्यक्रम में शामिल होने का आग्रह किया गया है. राम मंदिर निर्माण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद ये बड़ा घटनाक्रम है. हालांकि इस शुभ समाचार के बीच भगवान राम की 'अयोध्‍या' किसी दूसरे वजह से भी चर्चा में है. दरअसल नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली ने अयोध्‍या को लेकर एक हैरान कर देने वाला दावा किया है. उन्‍होंने कहा कि असली 'अयोध्‍या' नेपाल में है. जाहिर है कि उनके दावे पर विवाद होना ही था. 

दावे में कितना दम 
Zee News ने ओली के दावे के मुताबिक उस जगह तक पहुंचने की कोशिश भी की, जिस स्‍थल को ओली असली अयोध्‍या कह रहे थे. ये जगह बिहार के पूर्वी चंपारण में भारत-नेपाल सीमा के बिलकुल पास है. ज़ी न्यूज़ उस जगह पर जाना चाहता था और पूरी दुनिया को के.पी शर्मा ओली के दावे की असलियत बताना चाहता था. लेकिन नेपाल की तरफ से इसकी इजाजत नहीं मिली. हालांकि इस दौरान ग्राउंड रिपोर्ट में जो पता चला, वो केपी शर्मा ओली के दावों की कलई खोलने के लिए काफी है.

नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. ओली ने कहा था कि हमारा हमेशा से ही मानना रहा है कि हमने राजकुमार राम को सीता दी. लेकिन हमने भगवान राम भी दिए. हमने राम अयोध्या से दिए, लेकिन भारत से नहीं. ओली ने तो बाकायदा नेपाल के नक्शे में अयोध्या की लोकेशन तक समझा दी.

थोरी गांव और बाल्‍मीकि आश्रम
ओली ने कहा कि हकीकत में असली अयोध्या काठमांडू से 135 किलोमीटर दूर बीरगंज के एक छोटे से गांव थोरी में है. ओली ने जिस थोरी गांव को असली अयोध्या बताया है, वो बिहार के पश्चिम चंपारण जिले से सटे नेपाल बॉर्डर पर स्थित है. नेपाल का दावा है कि अयोध्या भारत में नहीं, नेपाल में है. हमने दावे की सच्चाई जानने के लिए कोशिश की और उस जगह पहुंचे जहां नेपाल का दावा है कि असल अयोध्या वहीं पर है. ये वाल्मीकि आश्रम था. 

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व इलाके में पैदल चलते हुए हम, भारत की आखिरी वाल्मीकि पोस्ट पर पहुंचे. जहां से हमारी मंजिल बेहद नजदीक थी. उबड़-खाबड़ रास्तों पर चलते हुए सशस्त्र सीमा बल के कैंप में पहुंचे. कैंप के ठीक सामने नेपाल का पोस्ट है. इसके बाद सोनभद्र नदी आ जाती है. हमारी कोशिश है कि सोनभद्र को पार करके हम उस वाल्मीकि आश्रम की तरफ लेकर जाएं जहां कहा जाता है कि वाल्मीकि रुके थे और आश्रम था. वहीं पर सीता-माता रुकी थीं. वहीं लवकुश ने शिक्षा-दीक्षा ली थी. अश्वमेघ यज्ञ भी नहीं हुआ था.

भारत के आखिरी चेक-पोस्ट से नेपाल में वाल्मीकि आश्रम की दूरी कुछ ही किलोमीटर थी. जिसे हमें वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के उबड़-खाबड़ रास्तों पर पैदल चलते हुए पूरा करना था.

आखिरकार ज़ी न्यूज़ की टीम भारत-नेपाल सीमा की उस चेकपोस्ट पर पहुंची जहां से नेपाल में दाखिल होना था. वहां से वाल्मीकि आश्रम महज दो सौ मीटर की दूरी पर था. जहां से नेपाल की उस अयोध्या की सीमा शुरू होती है जिसका जिक्र ओली ने अपने बयान में किया था. लेकिन फिर वही हुआ, जिसका हमें पहले से अंदाजा था.

हमें इजाजत नहीं दी गई. ज़ी न्यूज़ की टीम को नेपाल में दाखिल होने से रोक दिया गया. लेकिन नेपाल की परेशानी भी तो समझिये, अब ओली ने कह तो दिया कि अयोध्या यहां है, लेकिन अब नेपाल में अयोध्या दिखाएं कहां से. शायद जाने की इजाजत इसलिए भी नहीं मिली क्योंकि सवाल उठेंगे और सवाल उठेंगे तो जवाब देना मुश्किल हो जाएगा.

स्थानीय पत्रकार मृदुल मयंक कहते हैं कि अयोध्या से जुड़ी कोई चीज देखने को नहीं मिली. पुजारी वगैरह, जो टूरिस्ट आते हैं उन्हें समझाते हैं ये वाल्मिकी आश्रम है.

हालांकि ओली द्वारा वर्णित नई अयोध्या के दर्शनों की अभिलाषा लिए नेपाल के सफर पर निकली ज़ी न्यूज़ की टीम की मनोकामना भले ही पूरी नहीं हुई और न ही नेपाल में अयोध्या के कोई प्रमाण मिले. लेकिन चीन के प्रति ओली की अटूट आस्था के प्रतीक चिन्ह जरूर दिख गए.

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