चुनावी बांड: मार्क्सवादी पार्टी की याचिका पर SC ने केंद्र से मांगा जवाब
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चुनावी बांड: मार्क्सवादी पार्टी की याचिका पर SC ने केंद्र से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड जारी करने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली मार्क्सवादी पार्टी की याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा. 

केंद्र के फैसले को चुनौती देते हुये मार्क्सवादी पार्टी ने याचिका में कहा है कि यह कदम लोकतंत्र को कमतर करके आंकने वाला है .(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड जारी करने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली मार्क्सवादी पार्टी की याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने मार्क्सवादी पार्टी और इसके महासचिव सीताराम येचुरी की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी करने के साथ इसे पहले से लंबित मामले के साथ संलग्न कर दिया.

  1. sc मार्क्सवादी पार्टी की याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा.
  2. यह कदम लोकतंत्र को कमतर करके आंकने वाला है
  3. केंद्र सरकार ने अपने पिछले बजट में चुनावी बांड की घोषणा की थी

केंद्र के फैसले को चुनौती देते हुये मार्क्सवादी पार्टी ने याचिका में कहा है कि यह कदम लोकतंत्र को कमतर करके आंकने वाला है और इससे राजनीतिक भ्रष्टाचार और अधिक बढ़ जायेगा. येचुरी ने कहा कि उन्होंने संसद में भी यह मामला उठाया था और इस बारे में सरकार द्वारा प्रस्ताव पेश किये जाने पर इसमें संशोधन का अनुरोध किया था. लेकिन सरकार ने लोकसभा में अपने बहुमत के सहारे राज्य सभा की सिफारिशों को अस्वीकार कर दिया.

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मार्क्सवादी पार्टी के नेता ने कहा है कि ऐसी स्थित में उसके पास शीर्ष अदालत में आने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा था. राजग सरकार ने अपने पिछले बजट में चुनावी बांड की घोषणा की थी और निर्वाचन आयोग ने शुरू में इसे लेकर अपनी आपत्ति दिखाई थी ऐसा बहुत कम होता है कि इस तरह के मामले में कोई राजनीतिक दल शीर्ष अदालत में याचिका दायर करे. 

अधिकांश पार्टियां चुनावी बांड की राह में रोड़ा
केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने रविवार (7 जनवरी) को कहा कि अधिकांश राजनीतिक दल राजनीतिक चंदे (पॉलिटिकल फंडिंग) की मौजूदा प्रणाली से 'पूरी तरह संतुष्ट' हैं और वे चुनावी बांड जैसी पारदर्शी प्रणाली की तरफ नहीं बढ़ना चाहेंगी. जेटली ने एक विश्लेषण में लिखा, "भारत में एक पारदर्शी राजनीतिक फंडिंग की व्यवस्था नहीं हो सकती, क्योंकि ज्यादातर राजनीतिक समूह मौजूदा व्यवस्था से पूरी तरह संतुष्ट दिख रहे हैं.

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इसलिए राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे की प्रक्रिया को साफ-सुथरा बनाने के लिए वैकल्पिक प्रणाली लाने पर अड़ंगा डालने की कोशिश हो रही है." वित्तमंत्री ने वर्ष 2017-18 के अपने बजट भाषण में चुनावी बांड की संकल्पना की घोषणा की थी और दो जनवरी को इसे लोकसभा में उन्होंने प्रस्तुत भी किया. उन्होंने कहा कि वर्षों से कई सुधार किए गए, लेकिन उन सुधारों से राजनीतिक दलों को दिए जा रहे चंदे का सिर्फ छोटा अंश चेक में आ रहा है.

उन्होंने कहा, "इस सुधार प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के क्रम में मैंने 2017-18 के बजट भाषण में घोषणा की थी कि राजनतिक दलों को सफेद धन कई प्रकार से दिए जा सकते हैं. चेक में दिए गए धन पर दानदाता को कर में छूट मिल सकती है. दानदाताओं को ऑनलाइन राजनीति दलों को दान देने की भी आजादी दी गई." वित्तमंत्री ने कहा, "इसके अतिरिक्त, राजनीतिक दलों को दिए जा रहे चंदे की प्रणाली में सफेद धन व पारदर्शिता लाने के मकसद से चुनावी बांड की घोषणा की गई." उन्होंने कहा कि इस योजना में राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले चंदे की प्रणाली में पूरी तरह से सफेद धन और पूरी पारदर्शिता बरतने पर विचार किया गया है.

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