पशु बिक्री नोटिफिकेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भेजा केंद्र को नोटिस
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पशु बिक्री नोटिफिकेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भेजा केंद्र को नोटिस

कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 11 जुलाई तय की है. (file)

नई दिल्ली। मवेशी बाजारों में वध के मकसद से पशुओं की खरीद-फरोख्त किए जाने पर बैन लगाने वाली केन्द्र की कंट्रोवर्शियल नोटिफिकेशन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है. बता दें केन्द्र ने 26 मई को एक नोटिफिकेशन जारी कर देश भर के मवेशी बाजारों में वध के लिए पशुओं की खरीद-फरोख्त किए जाने पर बैन लगा दिया था.

अगली सुनवाई 11 जुलाई को
जस्टिस आर.के. अग्रवाल और जस्टिस एस.के. कौल की अवकाश पीठ ने केन्द्र को नोटिस जारी कर नोटिफिकेशन को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं पर दो हफ्तों के भीतर जवाब देने को कहा है.
कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 11 जुलाई तय की है.

एडिशनल सॉलीसीटर जनरल पीएस नरसिम्हा केंद्र की तरफ से पेश हुए
केन्द्र की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलीसीटर जनरल पीएस नरसिम्हा ने पीठ को बताया कि यह नोटिफिकेशन जारी करने के पीछे मंशा देश भर के मवेशी बाजारों के लिए नियमन प्रणाली लाने की है.
उन्होंने कोर्ट से कहा कि मद्रास हाई कोर्ट ने नोटिफिकेशन पर अंतरिम स्थगनादेश जारी किया है.

एक याचिका में नोटिफिकेशन को असंवैधानिक बताया गया
न्यायालय में नोटिफिकेशन को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं में से एक में दावा किया गया है कि अधिसूचना के प्रावधान असंवैधानिक हैं क्योंकि वह अंतरात्मा की स्वतंत्रता, धर्म और आजीविका की स्वतंत्रता जैसे मूल अधिकारों का उल्लंघन करते हैं.

याचिका में केंद्र के नोटिफिकेशन धार्मिक आजादी के खिलाफ बताया गया
हैदराबाद के मोहम्मद अब्दुल फहीम कुरैशी की ओर से सात जून को दायर याचिका में कहा गया है कि अधिसूचना मवेशियों की कुर्बानी देने की धामर्कि आजादी के खिलाफ है और भोजन के लिए मवेशियों का वध पर बैन संविधान के तहत नागरिकों को प्राप्त भोजन के अधिकार, निजता एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लंघन है.
याचिका में यह भी कहा गया है कि केरल, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और कर्नाटक जैसे राज्यों ने पहले ही कह दिया है कि वह केंद्र के एक बैन को लागू नहीं करेंगे क्योंकि इससे उक्त व्यवसाय में शामिल लोगों की जीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.

याचिका में सांस्कृतिक पहचान का हवाला दिया गया
उन्होंने कहा है, यह भी रेखांकित किया जाए कि भोजन के लिए मवेशियों का वध, ऐसे मवेशियों के मांस से बना भोजन या खाद्य पदार्थ और पशुओं की कुर्बानी देना इन समुदायों की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है..जिनको भारतीय संविधान के अनुच्छेद 29 के तहत संरक्षण प्राप्त है और संविधान के तहत इस पर किसी प्रकार के प्रतिबंध का प्रावधान नहीं है.
याचिका में कहा गया है कि पशुओं के क्रय-विक्रय पर पूर्ण प्रतिबंध से किसानों, मवेशी व्यापारियों पर बहुत बोझ पड़ेगा और उनके लिए अपने बच्चों का पेट भरना भी मुश्किल हो जाएगा.

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