Supreme Court Judgement On Alimony: तलाक के एक मामले का निपटारा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्थायी गुजारा भत्ता (एलिमनी) की रकम तय करने से जुड़ी गाइडलाइन बता दी है.
Trending Photos
Alimony Rules In India: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वैवाहिक विवाद के एक मामले का निपटारा करते हुए पति को निर्देश दिया कि वह पत्नी को 5 करोड़ रुपये का स्थायी गुजारा भत्ता (Alimony) दे. यह रकम एकमुश्त समझौते के तौर पर दी जानी है. SC ने पति से कहा कि वह 23 साल के बेटे के लिए भी 1 करोड़ रुपये दे. इस मामले में पति और पत्नी शादी के बाद सिर्फ 5-6 साल रहे. पिछले 20 साल से वे अलग रह रहे हैं. SC ने पाया कि दोनों के रिश्ते में अब सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है. आर्टिकल 142 के तहत मिली विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की मंजूरी से शादी खत्म करने की मंजूरी दे दी.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एकमुश्त गुजारा भत्ता (एलिमनी) की रकम तय करने की गाइडलाइन भी तय की. जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रसन्ना वी. वराले की बेंच ने कहा कि यह राशि इस तरह से तय की जानी चाहिए कि पति को दंडित न किया जाए, बल्कि इसके जरिए पत्नी के लिए सभ्य जीवन स्तर सुनिश्चित हो.
SC ने किस केस में दिया फैसला?
याचिकाकर्ता पति ने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी तुनकमिजाज है और उसके परिवार से अलग तरह से पेश आती है. पत्नी का आरोप था कि पति का व्यवहार उसके प्रति ठीक नहीं था. SC ने तमाम पहलुओं पर विचार के बाद पाया कि अब उनके रिश्तों में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं बची. फिर सिर्फ यह मसला बचा कि परमानेंट एलिमनी पर विचार किया जाए. अदालत ने इस तथ्य को ध्यान में रखा कि पत्नी बेरोजगार है जबकि पति एक विदेशी बैंक में बड़े पद पर है और महीने के 10-12 लाख रुपये कमाता है.
यह भी पढ़ें: 'पति से बदला लेने का जरिया बन गया है दहेज उत्पीड़न कानून', अतुल सुभाष केस के बीच सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
एलिमनी तय करने में इनका रखा जाए ध्यान, SC ने गिनाए फैक्टर्स
- दोनों पक्षों की सामाजिक और वित्तीय स्थिति
- पत्नी और आश्रित बच्चों की उचित जरूरतें
- पक्षों की व्यक्तिगत योग्यताएं और रोजगार की स्थिति
- आवेदक के स्वामित्व वाली स्वतंत्र आय या संपत्ति
- वैवाहिक घर में पत्नी द्वारा भोगी जाने वाली जीवनशैली
- पारिवारिक जिम्मेदारियों के लिए किए गए किसी भी रोजगार के त्याग
- गैर-कामकाजी पत्नी के लिए उचित मुकदमेबाजी की लागत
- पति की वित्तीय क्षमता, उसकी आय, भरण-पोषण की जिम्मेदारियां और देनदारियां
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन फैक्टर्स से कोई सीधा-सादा फॉर्मूला नहीं बनता, बल्कि स्थायी गुजारा भत्ता (एलिमनी) तय करते समय एक गाइडलाइन के रूप में काम करते हैं.
यह भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट में कैसे होती है सुनवाई? मामलों की लिस्टिंग का तरीका भी जान लीजिए
कितनी हो एलिमनी की रकम?
SC ने कहा कि स्थायी गुजारा भत्ता की रकम इस तरह से तय की जानी चाहिए कि पति को दंडित न किया जाए, बल्कि पत्नी के लिए एक सभ्य जीवन स्तर सुनिश्चित किया जाए. अदालत ने कहा, 'यह सुनिश्चित करना भी आवश्यक है कि स्थायी गुजारा भत्ता की राशि पति को दंडित न करे, बल्कि पत्नी के लिए एक सभ्य जीवन स्तर सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बनाई जानी चाहिए.'