SC on corruption: जस्टिस अब्दुल नज़ीर की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने फैसले में समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार पर चिंता जाहिर जताई है. कोर्ट ने कहा, 'करप्शन कैंसर की तरह समाज को खोखला कर रहा है. ये एक बड़ी समस्या का रूप धारण कर चुका है.'
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SC Constitution Bench on corruption: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की संविधान पीठ ने अपने अहम फैसले में कहा है कि किसी भी पब्लिक सर्वेंट के खिलाफ रिश्वत (Bribery) मांगे जाने का कोई सीधा सबूत न होने के बावजूद उसे एंटी करप्शन कानून (anti corruption law) के तहत दोषी साबित किया जा सकता है. सर्वोच्च अदालत की संविधान पीठ ने कहा है कि इस तरह के केस में जांच एजेंसी की ओर से जुटाए गए परिस्थितिजन्य साक्ष्य (circumstantial evidence) जैसे दूसरे सबूतों के जरिये भी आरोप साबित किया जा सकता है.
'भ्रष्ट अधिकारियों को सज़ा दिलाना ज़रूरी'
जस्टिस अब्दुल नज़ीर की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने फैसले में समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार पर चिंता जाहिर जताई है. कोर्ट ने कहा करप्शन, 'कैंसर की तरह समाज को खोखला कर रहा है. ये एक बड़ी समस्या का रूप धारण कर चुका है. सरकार का कोई महकमा इससे अछूता नहीं है. ये स्थिति राष्ट्र निर्माण में बाधक होने के साथ साथ ईमानदार अफसरों को निराश करती है. इसलिए जांच एजेंसियों को अपनी ओर से ईमानदार प्रयास करने चाहिए ताकि भ्रष्टाचार में शामिल लोक सेवकों का गुनाह साबित कर उन्हें सजा दिलाई जा सके और सरकार तथा प्रशासन में व्याप्त करप्शन से मुक्ति मिल सके.'
संविधान पीठ के सामने सवाल
दरअसल संविधान पीठ इस मसले पर विचार कर रही थी कि लोक सेवको के खिलाफ रिश्वत के मामलों में उनके खिलाफ कोई सीधा सबूत न होने के बावजूद क्या जांच एजेंसियों की ओर से जुटाये गए सबूतों के आधार लर उन्हें दोषी ठहराया जा सकता है संविधान पीठ ने आज अपने फैसले में साफ किया कि ऐसे मामलों में जहाँ शिकायकर्ता की मौत हो जाये या फिर वो अपने बयान से मुकर जाए या किसी वजह से ट्रायल के दौरान उसकी गवाही न हो तब भी दूसरे सबूतों के जरिये आरोपी का गुनाह साबित किया जा सकता है.
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