यहां आने वाले लोग भी इन युवाओं से प्रेरणा पाते हैं. यहां आने वाली सोमा दासगुप्ता ने कहा कि इन लोगों को उद्यमी के रूप में देखना एकदम अलग अनुभव है.
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कोलकाताः पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के जोधपुर पार्क में अपनी तरह की अनोखी पहल के तहत 10 एचआईवी पॉजिटिव टीनएजर्स ने गैराज में एक कैफे खोला है. इस कैफे का नाम है - कैफे पॉजिटिव. कैफे पॉजिटिव इन युवाओं द्वारा शुरू किया गया एक यूनीक वेंचर है, जो ये साबित करना चाहते हैं कि इस बीमारी के मानसिक दवाब और सामाजिक धारणा से उबर कर कुछ अलग किया जा सकता है.
इन युवाओं को इनके माता-पिता और संबंधियों ने एक तरह से अकेला छोड़ दिया था. ऐसे में ये बुरूईपुर के एक शेल्टर होम में मिले और यहीं उन्होंने भविष्य के सपने बुने. शुरुआत में उनकी फंडिंग शेल्टर होम 'ऑफर' ने की.
उन्होंने बताया, 'हम एक दिन उनके भविष्य को लेकर चर्चा कर रहे थे, तो उनमें से लोगों ने ये आइडिया दिया, क्योंकि वो बेकरी के बारे में ट्रेनिंग ले रहे थे. वो अपना कैफे शुरू करना चाहते थे. लेकिन राह आसान नहीं थी. ऐसी जगह मिलना मुश्किल था जहां एचआईवी पॉजिटिव लोग अपना कैफे खोल सकें.'
उन्होंने बताया कि कई बार ऐसा होता कि सबकुछ फाइनल होने के बाद भी अब में मकान मालिक कहता कि एचआईवी पॉजिटिव लोगों द्वारा ये जगह लेने से पड़ोसी एतराज जता रहे हैं. अंत में एक व्यक्ति ने उनकी मदद की और 120 वर्ग फीट का एक गैराज मिल गया. इस तरह आखिरकार कैफे पॉजिटिव की शुरुआत हुई.
दीपा विस्वास बुरुईपुर में पांच साल की उम्र में आईं थीं. उन्होंने स्कूल जाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें ज्यादातर क्लास रूम के बाहर ही खड़े रहना पड़ता था. सिर्फ इसलिए क्योंकि वो एचआईवी पॉजिटिव थीं. दीपा इस व्यवहार से उबरना चाहती थीं. उन्होंने बताया, 'हम अछूत नहीं हैं. यदि हम आपके लिए चाय का कॉफी बनाएंगे तो इससे आपको एड्स नहीं होगा. लोगों को ये बात समझनी चाहिए.'
सोनिया थेड़ा मुंबई में रहती थीं. उनकी मां की एचआईवी था. मां की मृत्यु के बाद वो कोलकाता आ गईं. सोनिया ने कहा, 'हम कठिन परिश्रम करेंगे और लोगों को दिखा देंगे कि हम भी कुछ कर सकते हैं.' कैफे पॉजिटिव में कैपेचीनो से लेकर ग्रिल्ड सैंडविच तक सबकुछ मिलता है. इन युवाओं द्वारा ही खाना तैयार किया जाता है और वो इसे बेहद वाजिब कीमत पर लोगों को मुहैया कराते हैं.
यहां आने वाले लोग भी इन युवाओं से प्रेरणा पाते हैं. यहां आने वाली सोमा दासगुप्ता ने कहा कि इन लोगों को उद्यमी के रूप में देखना एकदम अलग अनुभव है. उनके अच्छे व्यवहार के चलते वो अकसर यहां आने के लिए मजबूर हो जाती हैं. इन युवाओं ने दूसरे एचआईवी पॉजिटिव लोगों के लिए भी एक मिसाल कायम की है.