किसी ने खाकी छोड़ पहनी खादी तो कोई सचिवालय से सीधे बना मंत्री, इन नेताओं की खुली किस्मत
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किसी ने खाकी छोड़ पहनी खादी तो कोई सचिवालय से सीधे बना मंत्री, इन नेताओं की खुली किस्मत

योगी कैबिनेट के 52 मंत्रियों में 2 मंत्री ऐसे भी हैं जो देश की सेवा तो काफी पहले से कर रहे थे लेकिन राजनीति में सक्रिय नहीं थे. वे 2 हैं पूर्व IAS अरविंद कुमार शर्मा और पूर्व IPS असीम अरुण.

किसी ने खाकी छोड़ पहनी खादी तो कोई सचिवालय से सीधे बना मंत्री, इन नेताओं की खुली किस्मत

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार की इस बार की कैबिनेट थोड़ी अलग है. इस बार कुछ नेता ऐसे हैं जो राजनीति में बिल्कुल नए हैं. इन 52 मंत्रियों में 2 मंत्री ऐसे भी हैं जो देश की सेवा तो काफी पहले से कर रहे थे लेकिन राजनीति में सक्रिय नहीं थे. वे 2 हैं पूर्व IAS अरविंद कुमार शर्मा जिन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया और पूर्व IPS असीम अरुण, जिन्हें भी योगी 2.0 में कैबिनेट का जिम्मा सौंपा गया है. 

  1. 2 सरकारी अधिकारी जो नौकरी छोड़ बने मंत्री
  2. पीएम मोदी के करीबी को बनाया कैबिनेट मंत्री
  3. असीम अरुण पर भी पार्टी ने जताया भरोसा

पीएम मोदी के करीबी को बनाया कैबिनेट मंत्री

भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) से स्वैच्छिक अवकाश लेकर पिछले साल भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए अरविंद कुमार शर्मा ने भी शुक्रवार को मंत्री पद की शपथ ली. शर्मा शुरुआत से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाते हैं. गुजरात कैडर के 1988 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी शर्मा ने पिछले साल स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की, जिसके बाद पार्टी ने उन्हें तत्काल विधान परिषद का सदस्य (MLC) बना दिया. 

डिप्टी सीएम पद की थी चर्चा

शुरुआत से ही चर्चा थी कि शर्मा को राज्य सरकार में महत्वपूर्ण दायित्व मिल सकता है, यहां तक कि उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाए जाने की भी अटकलें लगाई जा रही थीं. हालांकि पिछले साल योगी आदित्‍यनाथ ने जब अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया तो शर्मा को मौका नहीं मिला, लेकिन उन्हें भाजपा संगठन में प्रदेश उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई.

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नरेंद्र मोदी का दिया साथ

जानकार बताते हैं कि शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दो दशक से अधिक समय तक काम किया है. गुजरात में मोदी के CM रहते हुए शर्मा मुख्‍यमंत्री सचिवालय में रहे और वहां विशेष सचिव से लेकर प्रमुख सचिव तक का दायित्व निभाया. 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद शर्मा प्रतिनियुक्ति पर प्रधानमंत्री कार्यालय में आए. सचिव पद पर प्रोन्नत होने के बाद शर्मा ने सेवानिवृत्ति से करीब दो साल पहले ही पिछले साल स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले लिया.

असीम अरुण पर पार्टी ने जताया भरोसा

उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव से ऐन पहले भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अपर पुलिस महानिदेशक स्तर (ADG) रैंक का पद छोड़कर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) लेने वाले असीम अरुण के उज्‍ज्‍वल सियासी भविष्य की संभावनाओं को भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण करते ही उड़ान मिलने लगी थी.

कन्नौज से हासिल की जीत

भाजपा ने विधान सभा चुनाव में उन्हें कन्नौज सदर क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया और अरुण ने यहां से चुनाव जीतकर अपनी नई पारी की रफ्तार तेज कर दी. शुक्रवार को उन्हें योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बनी सरकार में स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई.

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SWAT का किया गठन

वह 1994 में भारतीय पुलिस सेवा में चयनित हुए और विभिन्न जिलों में एएसपी, एसपी, एसएसपी, डीआईजी आदि पदों पर रहे. आतंकवाद निरोधक दस्ता (ATS) के पुलिस महानिरीक्षक रहते हुए उन्होंने एटीएस कमांडो की मदद से लखनऊ में आईएसआईएस के कुख्यात आतंकवादी को मार गिराया. वैसे अलीगढ़ में SSP रहते हुए आतंकवादी गतिविधियों से निपटने के लिए जिला स्तरीय स्पेशल वेपंस एंड टैक्टिक्स टीम (SWAT) का गठन कर वह न केवल सुर्खियों में आए बल्कि RSS (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की भी निगाह में आ गए थे.

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