स्वंयवर

द्रौपदी को स्वंयवर में अर्जुन ने जीता था और विवाह कर घर लेकर आये थे.

अर्जुन

कुंती के आदेश पर पांडवों के बीच द्रौपदी को बांट दिया गया, लेकिन द्रौपदी सबसे ज्यादा प्यार अर्जुन को करती थी.

अर्जुन के विवाह

लेकिन अर्जुन ने द्रौपदी के बाद सुभद्रा, उलूपी, चित्रांगदा से भी प्रेम विवाह किया था.

भीम

द्रौपदी को पांडवों में सबसे ज्यादा भीम प्रेम करते थे, ऐसा द्रौपदी के लिए भीम के किए कार्यों से सिद्ध होता है.

अपमान का बदला

भीम ने ही द्रौपदी का चीर हरण करने के बाद 100 कौरवों के अंत का वचन लिया था.

द्रौपदी ने धोए केश

दुश्सान का वध कर उसके सीने से रक्त निकाल कर द्रौपदी को केश धोने के लिए भी भीम ने ही दिये थे.

द्रौपदी बनी दासी

अज्ञातवास में द्रौपदी को रानी सुदेशना की दासी रहना पड़ा था जिससे भीम को बहुत दुख हुआ था.

भीम ने रखा ध्यान

द्रौपदी को वन वास के दौरान घने जंगल में अपने भुजाओँ पर उठाकर भी चलते थे, ताकि चलने में द्रौपदी को कष्ट ना हो.

दिव्य सुंगध वाले पुष्प

कुबेर के अद्भुत उद्यान से द्रौपदी के लिए दिव्य सुंगध वाले पुष्प भी भीम ही लाए थे. ((डिस्क्लेमर- ये लेख सामान्य जानकारी है, जिसकी जी मीडिया पुष्टि नहीं करता है)

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