मगरा स्नान: राजस्थान के आदिवासी समाज की वो परंपरा जिसमें फूंक दिया जाता है पहाड़

रंपराओं और संस्कृतियों का प्रदेश

राजस्थान परंपराओं और संस्कृतियों का एक प्रदेश है, जहां पर कुछ परंपराएं तो सीख देती हैं लेकिन कुछ कुरीति पर आधारित मानी जाती हैं.

परंपराएं

राजस्थान के उदयपुर में कई ऐसी परंपराएं चली आ रही हैं, जिनके लिए सरकार के अलावा कई संगठनों ने कदम उठाए हैं लेकिन फिर भी वह सक्रिय हैं.

अप्रैल में शुरू होता

बात कर रहे हैं उदयपुर में हर साल होने वाले मगरा स्नान की. जैसे ही अप्रैल का महीना यानी कि नया संवत्सर लगता है, वैसे ही उदयपुर की कई पहाड़ियां जलनी शुरू हो जाती हैं.

जानलेवा

कई बार तो यह प्रकृति और जीव जंतुओं के लिए जानलेवा भी होती हैं.

मन्नत पूरी होने पर लगाते आग

जानकारी के मुताबिक, मन्नत की पूरी होने के बाद मेवाड़ के लोग पहाड़ी या फिर जंगलों में आग लगा देते हैं. कई बार तो यह आज दो से तीन चार दिनों तक या कई दिनों तक जलती रहती है.

नुकसान

इस आग से पहाड़ियों जंगल में रहने वाले जीव जंतुओं की पतंग के साथ-साथ वनस्पति को भी नुकसान होता है.

पहाड़ी पर आग

मगरा स्नान के बारे में कहा जाता है कि जब आदिवासियों की मन्नत पूरी होती है तो वह पहाड़ी पर आग लगा देते हैं. कई बार यह आग हवा के कारण बढ़ती चली जाती है.

लोगों के घरों तक पहुंच जाती

उदयपुर में हर साल होने वाले मगरा स्नान की गवाह यहां की अरावली पहाड़ियां हैं. कई बार तो यह भीषण आग लोगों के घरों तक पहुंच जाती है.

हर साल लगती आग

बता दें कि उदयपुर चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरी हुई एक नगरी है, जहां के निवासियों का मानना है कि अरावली की पहाड़ियों में हर साल आग लगती है.

वहीं कई लोगों का तो यह भी मानना है कि यहां पर पशुओं को चलाने वाले लोगों की गलती के कारण भी जंगलों में आग लग जाती है क्योंकि कई बार बीड़ी पीकर फेंक देते हैं.

VIEW ALL

Read Next Story