राजस्थान में कुछ अनोखी प्रथाएं हैं, जो आज भी निभाई जा रही हैं. इन्हीं में एक प्रथा है नाता प्रथा.
यह प्रथा राजस्थान की कुछ जातियों में काफी प्रचलित है, जिसके अनुसार शादीशुदा महिला अपने पति को छोड़ किसी अन्य पुरुष के साथ रह सकती है.
इसके अलावा पुरुष भी किसी शादीशुदा महिला को उसकी सहमति पत्नी के रूप में रख सकता है.
नाता प्रथा में महिला और पुरुष को शादी करने की जरूरत नहीं होती है और ना ही कोई रस्म करनी पड़ती है.
इस प्रथा के अनुसार, कोई भी शादीशुदा महिला या पुरुष यदि किसी दूसरे पुरुष या महिला के साथ अपनी सहमति से रहना चाहती हैं, तो वह रह सकते हैं.
लेकिन इसके लिए वह एक-दूसरे से तलाक लेकर एक निश्चित राशि देकर साथ रह सकते हैं, इस राशि को ' झगड़ा छूटना' कहते हैं .
नाता प्रथा के चलते वहां की महिलाए और पुरूष तलाक के कानूनी झंझटों से दूर रहते हैं.
कहते हैं कि इस प्रथा की शुरुआत विधवा व परित्यक्ता स्त्रियों के लिए की गई थी. नाथा प्रथा के तहत उन्हें सामाजिक जीवन जीने के लिए मान्यता दी गई थी.
नाथा प्रथा में पांच गांव के पंचों द्वारा फैसले लिए जाते हैं. जैसे पहली शादी से जन्मे बच्चों को लेकर बात होती है.
साथ ही इस प्रथा में महिला, पुरुष और दोनों पक्षों के माता -पिता के बीच भी आपसी सहमति जरूरी होती है.
नाथा प्रथा का चलन प्रदेश में कई जगहों पर है लेकिन राजपूत, ब्राह्मण और जैन जातियों में इसे कम देखा जाता है. गुर्जरों में यह परंपरा काफी लोकप्रिय है.