राजस्थान के इस गांव में पिचकारी से नहीं बंदूक से खेली जाती है होली
Sneha Aggarwal
Mar 13, 2024
उदयपुर
उदयपुर से लगभग 50 किलोमीटर दूर मेनार गांव है, जहां धुलेंडी के दूसरे दिन बारूद से होली खेली जाती है.
हवाई फायर
इस होली में लोग आमने-सामने खड़े होकर बंदूक से हवाई फायर करते हैं.
होली और दिवाली साथ
इस होली को देखकर ऐसे लगता है, जैसे यहां दिवाली मनाई जा रही हो.
तोप
इस अनोखी होली में लोग आसमान में तोप छोड़ते हैं.
तलवार
इसके साथ ही हाथों में तलवारें लहराते हैं.
आते हैं कई गांव के लोग
इस गांव में होली मनाने के लिए आसपास के गांव के लोग भी आते हैं.
रात में खेलते हैं होली
बता दें कि यह होली रात में खेली जाती है और आज तक यह होली खेलते समय कोई नुकसान नहीं हुआ है.
महाराणा प्रताप के पिता
इस होली को लेकर कहा जाता है कि महाराणा प्रताप के पिता उदय सिंह ने अपने समय मेवाड़ पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए मेनारिया ब्राह्मणों ने दुश्मनों से लड़ाई लड़ी थी, जो रात को हुई थी.
कहानी
इस युद्ध में मेनारिया ब्राह्मणों ने दुश्मनों को मौत के घाट उतारा था, जिसकी याद में यहां रात में बारूदों की होली खेली जाती है.
450 साल
जानकारी के अनुसार, यह होली खेली जाने वाली परंपरा 450 सालों पुरानी है.
धुलेंडी के दूसरे दिन
बारूद से खेली जानी वाली ये होली धुलेंडी के दूसरे दिन खेली जाती है, जिसमें रंग-गुलाल की जगह बारूद, तोप, बंदूक, तलवार और पटाखे होते हैं.