हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया जाता है. लेकिन क्या आपको पता है पैर छूने के भी कुछ सही नियम होते हैं, जिनकी अनदेखी आपको शुभ फल के बजाए अशुभ फल देगी.
किसी के पैर छूना महज सम्मान के भाव से देखा जाता है. लेकिन, इस परंपरा के पीछे कई कारण हैं, माना जाता है कि अपने से बड़े या बुजुर्ग व्यक्ति के पैर छूने से उनकी सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है.
पैर छूना हो तो अपने दोनों हाथ को क्रास करके बाएं हाथ से बायां पैर और दाएं हाथ से दायां पैर छूना चाहिए. इसी तरह जब साष्टांग प्रणाम करें तो अपने सिर को दोनों हाथों के बीच में रखें और अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को झुका कर चरण स्पर्श करें.
पैर छूने के तारीका भी अगल-अगल प्रकार के होते हैं. कोई झुककर या फिर घुटने के बल बैठकर प्रणाम करता है कोई साष्टांग प्रणाम करता है.
पैर छूने की परंपरा आज से नहीं बल्कि देवी-देवताओं के समय से है. जब राज महलों में गुरु आते थे तो राजा स्वंय उनके पैर छू कर आशीर्वाद की इच्छा जताते थे.
अपने से बड़े के पैर छूने से नवग्रहों से जुड़े दोष दूर होते हैं. इसके साथ ही दादी, नानी, चाची आदि के पैर छूने से चंद्र दोष दूर होते हैं, वहीं बड़े भाई के पैर छूने से मंगल दोष और भाभी के पैर छूने से शुक्र मजबूत होता है.