Dungarpur: Lockdown में रहे उद्योग-धंधे बंद, कारोबारियों ने शुरू की खेतीबाड़ी-पशुपालन
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Dungarpur: Lockdown में रहे उद्योग-धंधे बंद, कारोबारियों ने शुरू की खेतीबाड़ी-पशुपालन

डूंगरपुर (Dungarpur) जिले के एक ऐसे ही होटल कारोबारी ने डेढ़ साल से ठप से पड़े होटल व्यवसाय से झेल रहे आर्थिक तंगी के कारण खेतीबाड़ी और पशुपालन शुरू किया.

प्रतीकात्मक तस्वीर.

Dungarpur: कोरोना संक्रमण (Corona infection) की मार ने किसी का रोजगार छीना तो किसी के उद्योग-धंधे चौपट हो गए, हालात ऐसे बन गए कि आर्थिक तंगी के चलते बड़े-बड़े कारोबारियों ने खेतीबाड़ी और पशुपालन को आय का जरिया बनाया.  

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डूंगरपुर (Dungarpur) जिले के एक ऐसे ही होटल कारोबारी ने डेढ़ साल से ठप से पड़े होटल व्यवसाय से झेल रहे आर्थिक तंगी के कारण खेतीबाड़ी और पशुपालन शुरू किया और इसी से हर महीने 1 से डेढ़ लाख रुपये तक की कमाई कर दूसरे लोगों के लिए एक मिसाल पेश की है. 

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कोरोना संक्रमण का दौर पिछले डेढ़ साल से जारी है. पिछले साल मार्च महीने में देशभर में लॉकडाउन लगने के बाद से ही पर्यटन व्यवसाय ठप्प होने के साथ ही होटल कारोबार भी पूरी तरह से चौपट सा हो गया है. होटल में लोग नहीं आ रहे ऐसे में होटल का मेंटेनेंस और कर्मचारियों को वेतन देना सबसे बड़ी चुनौती है. ऐसे में कई होटल कारोबारियों ने अपने होटल बंद कर दिए तो कइयों ने दूसरे रास्ते अपना लिए. 

लॉकडाउन में बेहतर रहा खेती करना
डूंगरपुर में भी एक ऐसे ही होटल कारोबारी हैं महेंद्रसिंह, जिनके डूंगरपुर और उदयपुर में एक-एक होटल है लेकिन पिछले डेढ़ साल से बंद पड़े होटल से एक रुपये की कमाई नहीं हुई, जिससे आर्थिक बोझ बढ़ने लगा. ऐसे हालत में लॉकडाउन में खेतीबाड़ी ओर पशुपालन का काम ही सबसे बेहतर लगा तो होटल कारोबारी ने शहर से सटे अपने पैतृक शिवपुरा गांव में खेतों में खेतीबाड़ी शुरू कर दी. इसके साथ ही गायें भी पाल ली, जिससे अब अच्छी कमाई होने लगी है.

खेतों में हो रहा गोबर की खाद का इस्तेमाल
महेंद्रसिंह बताते है कि बाजार ने केमिकल वाले खाद से उगाई गई सब्जियां तो बहुत मिलती है, लेकिन वे ऑर्गेनिक खाद से सब्जियां उगाते हैं. गायों के गोबर से बनने वाले खाद को खेतों में इस्तेमाल करते हैं, जिससे सब्जियां भी अच्छी होती है. वे बताते है उन्होंने अपने खेतों में लौकी, टमाटर, ग्वारफली, चिकुन्दर, तुरई, भिंडी, पालक सहित कई तरह की सब्जियां उगाई हैं, जिससे रोजाना करीब 1 से 2 क्विंटल तक सब्जियां निकलती हैं. सब्जियां उगाने के लिए उन्होंने कई बार कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों का भी सहयोग व मार्गदर्शन से सब्जियों की पैदावार को बढ़ाने में कारगर साबित हुआ. अब वे अच्छे होटल व्यवसायी के साथ ही किसान व पशुपालक भी बन गए हैं.

गाय पालन को भी दी तवज्जो
महेंद्रसिंह ने सब्जियों के साथ ही पशुपालन को भी आय का जरिया बनाया. इसके लिए उन्होंने गुजरात के गिर नस्ल की 10 गायों का पालन किया. यह गायें दूध देने में सबसे अच्छी नस्ल की मानी जाती हैं. वहीं गाय के दूध की बाजार में सबसे बड़ी डिमांड भी रहती है. वे बताते हैं कि रोजाना इन गायों से 100 लीटर दूध दुहते हैं, जो बाजार में 50 रुपये प्रति लीटर या इससे भी ज्यादा रेट में बिकता है. वहीं गाय के दूध से बनने वाले शुद्ध देशी घी भी बाजार में सबसे बड़ी डिमांड रहती है.होटल कारोबारी बताते है कि सब्जियां व दूध बेचकर हर महीने 1 से डेढ़ लाख रुपये तक की कमाई हो जाती है, जिससे होटल कारोबार में हो रहे नुकसान की भी भरपाई हो जाती है.

आत्मनिर्भर बनने की दे रहे प्रेरणा 
होटल कारोबारी महेंद्रसिंह के एक हाथ नहीं है, जिससे उन्हें भी तकलीफ होती है, लेकिन इससे उन्होंने कभी भी हिम्मत नहीं हारी. वहीं, महेंद्रसिंह कोरोना के चलते होटल व्यवसाय ठप होने के बाद खेतीबाड़ी और दूध व्यापार में अपना हाथ आजमा रहे हैं और उनके इस काम में उनका परिवार भी पूरा साथ दे रहा है. इधर होटल व्यवसाई से किसान व पशुपालक बने महेंद्र सिंह खुद आत्मनिर्भर बनकर अन्य लोगो को भी आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दे रहे हैं.

Reporter- Akhilesh Sharma

 

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