Tonk News: यहां पत्थरों से खेली जाती है होली, खून बहने को माना जाता है शुभ
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Tonk News: यहां पत्थरों से खेली जाती है होली, खून बहने को माना जाता है शुभ

टोडारायसिंह उपखंड मुख्यालय पर आगामी रोज होली दुलण्डी के बाद तीसरे दिन निकलने वाली परंपरागत बादशाह इलाहजी की सवारी को लेकर उत्साह बना हुआ है.

Tonk News: यहां पत्थरों से खेली जाती है होली, खून बहने को माना जाता है शुभ

Badshah Illoji sawari: टोडारायसिंह उपखंड मुख्यालय पर आगामी रोज होली दुलण्डी के बाद तीसरे दिन निकलने वाली परंपरागत बादशाह इलाहजी की सवारी को लेकर उत्साह बना हुआ है. यद्यपि कालांतर में शहर की पत्थर मार होली खूब विख्यात रही है.
टोडारायसिंह शहर अपनी ऐतिहासिकतक और पौराणिकता को लेकर ही नहीं बल्कि होली पर्व पर होने वाली भाटाराड़ (पत्थर मार होली) को लेकर भी खूब चर्चित रहा है.
यद्यपि क प्रशासन के जरिए अब पत्थर मार होली की अनुमति नहीं देता लेकिन परंपरा स्वरूप इसका निर्वहन वर्तमान में भी सांकेतिक रूप से किया जाता है.

हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी शहर में खेली जाने वाली पांच दिवसीय होली पर्व को लेकर जोरदार उत्साह है. यहां होली को लेकर पुलिस और प्रशासन पहले से ही सचेत है तथा पिछले दिनों थाना परिसर में इसको लेकर सीएलजी की बैठक भी गई. जिसमें इस वर्ष भी बादशाह और इलाहजी की सवारी को अनुमति प्रदान की गई.

परंपरा अनुसार शहर के ऐतिहासिक महल चौक से 8 मार्च को निकलने वाली इलाहजी की सवारी (अर्थी) तथा डीजे का इंतजाम नगर पालिका प्रशासन के जरिए किया जाएगा.

ऐसे में आगामी 8 मार्च को महल चौक से इस बार भी इलाहजी की सवारी परंपरा अनुसार डीजे की धुनों पर होली के हुड़दंग के साथ निकाली जाएगी जो कि ब्रह्मा अखाड़ा होकर शहर के बीचो-बीच माणक चौक पहुंचेगी वहीं दूसरी तरफ ऐतिहासिक बूढापोलल दरवाजे से शहर के सिलावट समाज द्वारा बादशाह की सवारी निकाली जाएगी जो कि होली के हुड़दंग के बीच सिलावट मोहल्ले सें होकर एक ही समय पर माणकचौक पहुंचेगी. दोनों सवारियों के माणक चौक पहुंचने पर होली गीतों (साखियों)का आयोजन किया जायेगा.

जहां प्रशासन व पुलिस के अधिकारी भी मौजूद रहेंगे तथा सांकेतिक रूप से बादशाह व इलाहजी की सवारी के साथ पहुंचने वाले हुड़दंगियों के बीच अब पत्थरों के बजाय अब छोटे कंकड़ या आलू फेंककर पूर्व की प्रसिद्ध भाटाराड़ की परंपरा का निर्वहन किया जाएगा.

यद्यपि पूर्व में दोनों सवारियों के साथ आने वाले लोगों में एक दूसरे को पत्थर मारने व सिर फोड़ने का अजीबोगरीब खेल आयोजित होता रहा तब पत्थरों से मारने व खून बहने को शुभ मानते हुए लोग इस खतरनाक परंपरा में पूरे जोश व उत्साह के साथ शामिल होते थे.

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