Rajsamand news: राजसमंद में गणगौर महोत्सव के चलते श्रद्धालुओं को सैलाब. प्रभु श्रीद्वारिकाधीश मंदिर से परंपरागत रूप से शाही लवाजमे के साथ हरी गणगौर की सवारी रवाना हुई तो जहां देखो वहां सिर्फ हरा ही दिखाई देने लगा था.
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Rajsamand news: राजसमंद में गणगौर महोत्सव के चलते श्रद्धालुओं को सैलाब बढ़ रहा है. सबसे खास बात यह देखने को मिल रही है कि जिसे जहां जग मिल रही है वह वहीं इस महोत्सव को देखने के लिए ठहर गया है. गणगौर महोत्सव के दौरान जब प्रभु श्रीद्वारिकाधीश मंदिर से परंपरागत रूप से शाही लवाजमे के साथ हरी गणगौर की सवारी रवाना हुई तो जहां देखो वहां सिर्फ हरा ही दिखाई देने लगा था.
सवारी में शामिल लोगों के हरे पहनावे के साथ ही सवारी का नजारा लेने के लिए पहुंचे लोगों की भीड़ में भी ज्यादातार लोग हरे लिबास में ही नजर आ रहे थे. इसके तहत महिलाएं हरी साड़ी पहनकर आईं तो पुरुष हरे शर्ट में और इसके साथ ही हरी पगड़ी, साफा और इकलाई भी हरे रंग की ही थी. महोत्सव में दूसरे दिन की सवारी होने से लोगों को भीड़ ज्यादा बढऩे की उम्मीद थी, जिसके चलते सवारी को देखने को आतुर शहरवासी और आसपास के गांवों के श्रद्धालु अपरान्ह चार बजे से पहले ही पहुंचकर अपना स्थान संभालने लगे थे, जहां से वे इत्मिनान से सवारी देख सकें.
शाम को जब सवारी शहर के परंपरागत मार्गों पर निकली तो ठाकुरजी के मंदिर से लेकर पूरे सवारी मार्ग में बालकृष्ण स्टेडियम तक सडक़ों पर सिर्फ महिला-पुरुष श्रद्धालु ही दिखाई दे रहे थे. पूरे मार्ग में प्रत्येक मकान की छत पर जिसे जहां जगह मिली वो वहां से सवारी का नजारा लेने के लिए करीब तीन घण्टे से भी अधिक समय तक किसी बुत की तरह खड़ा हो गया या बैठने का स्थान मिला तो बैठ गया. ऐसे में पूरे मार्ग के भवनों की छतों, गोखड़ों, बालकनी आदि पर सिर्फ महिला-पुरुष श्रद्धालु ही दिखाई दे रहे थे. इनमें से ज्यादातर लोग हरि गणगौर के चलते हरी वेशभूषा में ही थे.
सवारी के पहुंचने पर उसमें शामिल सभी लोगों के भी हरी वेशभूषा में होने से उस दौरान तो एक बार पूरे शहर ने भी खेतों की तरह से ही हरियाली की चादर सी ओढ़ ली थी. हरी गणगौर की सवारी प्रभु श्री द्वारकाधीश मंदिर से रवाना हुई और जैसे-जैसे आगे बढ़ती गई लोग जयकारे लगाते और फूलों की वर्षा से उसका जोरदार स्वागत कर रहे थे. शाम ढलने के साथ ही हरि गणगौर की सवारी शनै-शनै अपने मार्ग की ओर बढऩे लगी. प्रभु श्री द्वारकाधीश मंदिर से हरे रंग की वेशभूषा में शृंगारित गणगौर की प्रतिमाओं और सुखपाल में बिराजित प्रभु श्री द्वारकाधीश की छवि के साथ पूरे ठाट के साथ परंपराओं का निर्वहन करते हुए सवारी रवाना हुई. इसमें प्रभु की छवि भी हरि घटा में ही सुशोभित की गई थी.
इस दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रभु द्वारकाधीश, चारभुजानाथ के गगनभेदी जयकारे लगाकर समूचे वातारण को भक्तिमय बना दिया. साथ ही वाद्य वादन तुरही, बांकिया व नगाड़े सहित बैंड-बाजों की करीब आधा दर्जन टोलियों के द्वारा लोकगीतों व भक्ति संगीत की मधुर स्वर लहरियों ने वातावरण को पूरी तरह से उत्सवमय बना दिया. सवारी के पहुंचने के बाद तो हालात यह थे कि शहर में जहां देखो वहां सिर्फ हरा रंग ही दिखाई दे रहा था. सवारी में सबसे आगे हाथी उसके पीछे नगाड़े का घोड़ा, बैण्ड चल रहे थे. इसके साथ ही ऊंटगाड़ी में आकर्षक झांकियां सजी हुई थी. वहीं, सवारी में दो बैण्ड, मंदिर बैण्ड भक्ति की धुनें बिखरते चल रहे थे.
यात्रा में आकर्षक झांकियां निकली
सहरिया डांस पार्टी के कलाकार मारवाड़ी ढोल की थाप पर अपना लोकनृत्य पेश कर रहे थे. वहीं, कन्याएं सिर पर कलश धारण किए और गणगौर नृत्य करते हुए चल रही थीं. इसका संयोजन गोविंद औदिच्य और उनकी टीम द्वारा किया जा रहा था. इसके बाद घोड़े, ऊंट और रथ पर आकर्षक झांकियां शामिल थीं. इसके बाद बैण्ड पार्टी भक्ति गीतों की धुन बिखेरते हुए चल रही थी. हनुमानजी की आकर्षक झांकी के समक्ष लोग श्रद्धा से झुककर प्रणाम कर रहे थे.
मंदिर की पलटन के सिपाही का विशेष वेशभूषा बना आकर्षण का केंद्र
मंदिर की पलटन के सिपाही अपनी विशेष वेशभूषा के साथ ही सिर पर हरे रंग की पगड़ी धारण किए सधे कदमों से चल रहे थे. वहीं, मारवाड़ी ढोल वादक अपने वादन से श्रद्धालुओं को नाचने पर मजबूर कर रहे थे. कच्छी घोड़ी कलाकार भी ढोल पर नृत्य सहित अपनी कला को प्रदर्शित करते चल रहे थे. वहीं, बीच-बीच में महाकाल की तोप भी गरज रही थी. सबसे अंत में प्रभु श्री द्वारकाधीश मंदिर का बैण्ड भजनों की मधुर धुनों से वातारण को भक्तिमय बनाते चल रहा था. इसके पीछे मशाल और उसके बाद सुखपाल में बिराजित प्रभु द्वारकाधीश की छवि शामिल थी. छवि के स्पष्ट दर्शनों के लिए इस बार उसके आगे रोशनी की व्यवस्था भी की गई. प्रभु की छवि पर श्रद्धालुओं ने नतमस्तक होने साथ ही पूरे मार्ग में पुष्पवर्षा की.
सवारी के तय मार्ग से मेला प्रांगण बालकृष्ण स्टेडियम पहुंचने पर श्रद्धालु महिलाओं ने गणगौर को की प्रतिमाओं को वहां विराजित कर उनकी पूजा कर झाले दिए तथा पारंपरिक लोक गीत भंवर म्हाने पूजण दो गणगौर एवं म्हारी घूरम छै नखराली. गीतों पर काफी देर तक करके ईशर व गणगौर को रिझाया. सवारी में नगर परिषद सभापति अशोक टांक, उप सभापति चुन्नीलाल पंचोली, पार्षद हेमन्त रजक, हेमन्त गुर्जर, दीपक कुमार जैन, तरूणा कुमावत, राजकुमारी पालीवाल (वार्ड 17), राजकुमारी पालीवाल (वार्ड 37), दीपिका कुमावत, हिमानी नंदवाना, सुमित्रा देवी नंदवाना, पुष्पा पोरवाड़, शालिनी कच्छावा, मोनिका खटीक, अर्जुन मेवाड़ा, भुरालाल कुमावत, दीपक शर्मा, रोहित मीणा, मांगीलाल टांक, प्रमोद रैगर, कमलेश पहाडिय़ा, बंशीलाल कुमावत, नारायण गाडरी, हिम्मत कीर, एवं नरेन्द्र पालीवाल आदि के साथ कई पार्षद एवं बड़ी संख्या में अन्य जनप्रतिनिधि, विभिन्न समाजों के प्रतिनिधि एवं नगरवासी भी साथ चल रहे रहे.