जैतारण में तप कल्याणक महोत्सव का विशेष दिन, आचार्य ने दिया यह खास संदेश
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जैतारण में तप कल्याणक महोत्सव का विशेष दिन, आचार्य ने दिया यह खास संदेश

जैन मुनियों की कठिन साधना तप, त्याग का विस्तार से वर्णन करते हुए बताया कि मनुष्य जीवन भी एक क्रिकेट के मैच की तरह है. इस मैच में जिंदगी की पिच पर सिर्फ आपको अकेले खेलना पड़ता है. अकेले ही बैटिंग करनी होती है और आप को आउट करने के लिए पूरे 11 खिलाड़ी होते हैं.

जैतारण में तप कल्याणक महोत्सव का विशेष दिन, आचार्य ने दिया यह खास संदेश

Jaitaran: पंच कल्याणक महोत्सव के चौथे दिवस तप कल्याणक महोत्सव का विशेष दिन था. आचार्य सुनिल सागर महाराज ने जीवन में तप का बड़ा ही महत्व बताया. जैन मुनियों की कठिन साधना तप, त्याग का विस्तार से वर्णन करते हुए बताया कि मनुष्य जीवन भी एक क्रिकेट के मैच की तरह है. इस मैच में जिंदगी की पिच पर सिर्फ आपको अकेले खेलना पड़ता है. अकेले ही बैटिंग करनी होती है और आप को आउट करने के लिए पूरे 11 खिलाड़ी होते हैं.

यह आप पर निर्भर करता है कि आप छक्के लगाते हैं या सामने वालों के छक्के छुड़ा देते हैं. अगर आप डटे रहेंगे तो शतक बना लेंगे और अगर आप घबरा गए तो आउट हो जाएंगे. सभी की दृष्टि और सोच अलग-अलग होती है. सभी का विचार अलग अलग होता है और अब फैसला आपको करना है, आपको खेलना है या खिलाड़ी बनना है. अच्छा व्यक्ति खिलाड़ी बनता है. किसी के हाथों खिलौना नहीं बनता. 

रखें अपनत्व की भावना
उन्होंने कहा कि सोने को जितना तपाएंगे, उतना ही निखार आएगा. इसी तरह मनुष्य में निखार लाने के लिए धर्म के प्रति आस्था और जागरूक रहकर लोगों को अच्छा संदेश देकर कभी भी निखार आएगा. उन्होंने कहा कि लोहा लोहे को काटता है, पत्थर पत्थर को काटता है. इसी तरह मनुष्य को प्रेम भावना वह अच्छे बोल से पिघला सकता है. आदमी को संस्कार और अच्छी शिक्षा और अपनत्व से प्रेम की भावना से किसी आदमी को अपना बना सकता है.

इस जीवन में कोई भी शाश्वत सदैव दोस्त होता है, ना दुश्मन होता है इसलिए प्राणी मात्र से प्रेम रखें. आज के युग में परिवार में होने वाले बच्चों की बुरी आदतों के बारे में बताते हुए आचार्य ने कहा कि बच्चों को मोबाइल नहीं पकड़ाएं. दादा- दादी, नाना-नानी बच्चों को समय दें. बच्चों को अपने पास बिठाएं, उन्हें संस्कार दें, उन्हें कहानियां सुनाएं.

बच्चों को न खेलने दें वीडियो गेम
आचार्य ने जीव हिंसा को बहुत ही बुरा बताया. उन्होंने यहां तक कहा कि हम मोबाइल गेम पर यदि किसी को गोली मारते हैं यदि किसी की हत्या करते हैं तो वह भी एक प्रकार की हिंसा है क्योंकि हमारी भावना उस समय हिंसात्मक होती है इसलिए इस प्रकार के जो खेल है वीडियो पर बच्चों को नहीं खेलने दें.

ब्रह्मचारी विमल बने सुविमल सागर
संयोजक अजीत कुमार कासलीवाल और सौधर्म इंद्र भागचंद कासलीवाल ने बताया आज का दिन ग्राम बलूंदा के इतिहास में एक अद्वितीय अविस्मरणीय इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया. जब ब्रह्मचारी विमल जो अब तक ब्रह्मचारी विमल जी के नाम से जिन्हें जाना जाता था, आज दीक्षा के बाद उनका नया परिचय श्री सुविमल सागर जी महाराज उन्हें दिया गया. अलक मुनि को छुल्लक दीक्षा दी गयी और उनको नया नाम दिया गया . संकल्प सागर जी के रूप में अपनी नई पहचान बनाई. पूंजी बाई उन्हें भी छुल्लिका दीक्षा दी गई और सुक्रतमति माताजी का नया नाम दिया गया. इस प्रकार आज पंच कल्याण महोत्सव में एक नया इतिहास रचा गया.

इसी मौके पर ये लोग रहे उपस्थित
अध्यक्ष डूंगरमल कासलीवाल संयोजक अजीत कुमार कासलीवाल, सौधर्म इंद्र भागचंद कासलीवाल, महावीर प्रसाद बोहरा, ताराचंद ठोलिया, जिनेंद्र बाकलीवाल, हुकमीचंद छल्लानी कुंभकोणम, देवराज लुणावत चेन्नई, फतेह चंद चेन्नई, किशोर चंद अजमेर, अनिल गदिया अजमेर,लोकेश पाटनी,पुलकेश जी भीलवाड़ा, ललित जैन रामगंज मंडी, महेंद्र जैन अजमेर, कमल कासलीवाल कोलकाता, नीरज जैन लखनऊ, सुनील जैन जोधपुर,रामरख लखारा नौखा, तरुण जैन जयपुर, श्री भारतवर्षीय दिगंबर महिला महासभा की अध्यक्षा अनिता बाकलीवाल सहित अपार प्रवासी जैन बंधु उपस्थित थे.

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रिपोर्टर - सुभाष रोहिसवाल

 

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