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राजस्थान के वो लोक देवता, जिन्होंने सांप की जान बचाने के लिए दे दिए थे अपने प्राण

Rajasthan News: राजस्थान के कई सारे लोक देवता हैं, जिनकी पूजा भी की जाती है. ऐसे ही एक प्रसिद्ध लोक देवता तेजाजी हैं. तेजा जी को वीरता और साहस का प्रतीक माना जाता है और वे राजपूतों के देवता हैं. तेजा जी की कहानियां और उनके प्रतीक ग्रामीण राजस्थान की संस्कृति और परंपराओं में गहरे समाहित हैं, जिसकी झलक आज भी देखने को मिलती है.

लोक देवता

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लोक देवता

तेजा जी, राजस्थान की लोक कथाओं में एक प्रसिद्ध नायक हैं. उन्हें एक लोक देवता माना जाता है. राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के कई क्षेत्रों में तेजा जी की पूजा की जाती है. 

 

तेजाजी महाराज

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तेजाजी महाराज

तेजा जी वीरता, साहस और न्याय के प्रतीक माने जाते हैं. कई कथाएं हैं, जो उनकी वीरता और बलिदान को दर्शाती हैं. 

तेजाजी से जुड़ी कथा

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तेजाजी से जुड़ी कथा

कहा जाता है कि तेजाजी महाराज की पत्नी पेमल की सहेली की गाय चोरी हो गई थी, जिसे छुडाने के लिए तेजा जी जा रहे थे, तभी रास्ते में जलता हुआ सांप दिखा. सांप को बचाने के लिए तेजा जी ने उसे आग से बाहर निकाला, लेकिन तभी वहां नाग देवता प्रकट हुए और कहा कि तुमने मोक्ष प्राप्ति में विघ्न डाला है. इसलिए मैं तुम्हें डसूंगा. 

वचन के लिए दी जान

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वचन के लिए दी जान

तेजाजी महाराज ने विनती करते हुए नाग देवता को पुरी स्थिति बताई और कहा कि मुझे जाने दीजिए, मैं गायों को बचाकर वापस आऊंगा, तब डस लीजिएगा. तेजा जी ने अपने वचना की पालना भी की और अपनी जीभ को नाग देवता से कटवाया.

तेजाजी का मेला

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तेजाजी का मेला

उनका प्रमुख मेला "तेजाजी का मेला" हर साल मनाया जाता है, जिसमें हजारों लोग उनकी पूजा और सम्मान के लिए इकट्ठा होते हैं. खरनाल में तेजा जी का मुख्य मंदिर स्थित है.