यहां भगवान गणेश से पहले की जाती है इनकी पूजा, वजह कर देगी आपको भी हैरान
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यहां भगवान गणेश से पहले की जाती है इनकी पूजा, वजह कर देगी आपको भी हैरान

रामलीला का मंचन चैत्र शुक्ल पंचमी से प्रारंभ होता है. जो पूरे पखवाड़े चलता है. यहां स्थित 11वीं सदी के भगवान लक्ष्मीनारायण के मंदिर के सामने रामलीला का मंचन होता है. 

यहां भगवान गणेश से पहले की जाती है इनकी पूजा, वजह कर देगी आपको भी हैरान

Kota: मनोरंजन के ढेरों साधनों के बावजूद हाड़ौती बोली में रचित ढाई कड़ी के दोहे की रामलीला की धाक अभी भी देशभर में बनी हुई है. कालीसिंध नदी के तट पर स्थित बारां जिले के पाटुन्दा में मंचित होने वाली यह रामलीला तकरीबन डेढ़ सौ से भी अधिक सालों से लोकरंजन और लोक शिक्षण का सशक्त माध्यम बनी हुई है.

तुलसीकृत रामायण से हाड़ौती भाषा और डिंगल भाषा का समावेश कर यहां रामलीला का कथानक लिखा गया है. जिसकी शुरुआत गुरु गणपत के द्वारा की गई बताई जाती है. कहते हैं कि गुरु गणपत ने ही हाड़ौती भाषा में रामायण के इन दोहों की रचना की थी. रागभोपाली पर आधारित इस रामलीला में दोहा तान और उतार के समावेश से ढाई कड़ी बनाई गई है.

लोक रामलीला मंडल के द्वारा इस वर्षों पुरानी परंपरा को आगे बढ़ाया जा रहा है. जिसकी कमान अब युवाओं के हाथों में आ गई है तो नवाचार भी हुए और मूल स्वरूप कायम रखते हुए कलेवर भी बदला गया है. हालांकि डेढ़ शताब्दी में इसके पूरे किरदार भी बदल हैं. रामलीला मंडल से जुड़े सुशील पांचाल बताते हैं कि रामलीला की ख्याति के कारण बाहर से भी लोग देखने आते हैं और अयोध्या के साथ चित्रकूट तक पाटुन्दा के कलाकार मंचन करने के लिए बुलाए जाते हैं.

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रामलीला मंचन के समापन पर संत बाबा निरंजन नाथ अवधूत, भारतीय किसान संघ के जोधपुर प्रांत के संघठन मंत्री हेमराज, आरएसएस के विभाग प्रचारक हेमेंद्र, भारतीय किसान संघ के रूपनारायण यादव मौजूद रहे.

चैत्र शुक्ल पंचमी से होती है शुरूआत

रामलीला का मंचन चैत्र शुक्ल पंचमी से प्रारंभ होता है. जो पूरे पखवाड़े चलता है. यहां स्थित 11वीं सदी के भगवान लक्ष्मीनारायण के मंदिर के सामने रामलीला का मंचन होता है. पहले ये मंचन जमीन पर होता था, लेकिन 1992 में तत्कालीन जिला कलेक्टर ने चबूतरा बनवा दिया. रात में होने वाली रामलीला के दौरान भगवान लक्ष्मीनारायण की स्तुति की जाती है. इस दौरान पूरी रात ठाकुर जी के पट खुले रहते हैं. वहीं प्रतिदिन मंचन प्रारंभ करते हुए भारत माता की आरती भी की जाती है. जिससे इस लोक परंपरा को राष्ट्रवाद से जोड़ दिया गया है.

ढाई कड़ी के दोहे कुछ इस अंदाज में होते हैं प्रस्तुत

रामलीला में सर्वप्रथम भारत माता की वन्दना की जाती है. जिसमें "धन धन भारत शोभा धाम, प्रथम जननी नै करूं प्रणाम " दोहा बोला जाता है. सारे हिन्दू जगत में प्रथम पूजा गणेश जी की करते हैं, परन्तु यहां भारत जननी की करते हैं. भारत वन्दना में भारत के प्राचीन और नवीन भक्तों और वीरों का वर्णन है.

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