डीएपी की किल्लत से बढ़ी किसानों की परेशानी, हो रही खाद की कालाबाजारी
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डीएपी की किल्लत से बढ़ी किसानों की परेशानी, हो रही खाद की कालाबाजारी

दुकानदार कालाबाजारी कर कई जगह पर अधिक दामों पर किसानों को खाद बेच रहे हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर

Baran: बारां जिले में मानसून सीजन के बाद अब रबी की बुवाई का दौर एक माह से चल रहा है. इस बीच किसानों को खाद के लिए परेशान होना पड़ रहा है. डीएपी (DAP) की किल्लत के कारण किसानों को घंटों कतार में लगने के बाद दो कट्टे मिल रहे हैं. वहीं, कई दुकानदार कालाबाजारी (Black Marketing) कर औने-पौने दामों पर किसानों को खाद बेच रहे हैं.  

विदेश से आयात में कमी के कारण डीएपी नहीं मिल रही है. कृषि विभाग (Agriculture Department) का कहना है कि डीएपी के विकल्प के रूप में यूरिया में सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) मिलाकर उपयोग में लें. अंता क्षेत्र के सीसवाली, रायथल में  डीएपी ,यूरिया मिलने की उम्मीद में किसान सुबह से ही दुकानों के बाहर आकर खड़े हो जाते हैं.   

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ग्रामीण किसानों (Farmers) ने बताया कि से घंटों कतारों में लगने के बाद भी डीएपी नहीं मिला और दुकानदार कालाबाजारी कर कई जगह पर अधिक दामों पर किसानों को खाद बेच रहे हैं. वर्तमान मांग के हिसाब से 18 हजार 500 मीट्रिक टन डीएपी की आवश्यकता है, जिसके मुकाबले 8 हजार 601 मीट्रिक टन डीएपी पहुंच चुका है. अभी 10,231 टन एसएसपी और 11 हजार टन यूरिया उपलब्ध है. तिलहन और दलहन फसलों के लिए दोनों को मिलाकर उपयोग में लेना बेहतर है. 

बारां जिले में इस बार 30 हजार हैक्टेयर में फसलों की बुवाई हुई है. जिले में 3 लाख 36 हजार हैक्टेयर में रबी फसलों की बुवाई का लक्ष्य है. अभी 30 हजार हैक्टेयर में बुवाई हुई है. लक्ष्य में से 25 हजार हैक्टेयर में सरसों, ढाई हजार हैक्टेयर में चना और ढाई हजार हैक्टेयर में अन्य फसलों की बुवाई हो चुकी है. वहीं, अभी जिले में बुवाई का दौर जारी है. 

Reporter- Ram Mehta 

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