करौली में अष्टमी पर कैलादेवी में गूंजे माता के जयकारे, करीब 2 लाख पचास हजार श्रद्धालुओं ने लगाई धोक
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करौली में अष्टमी पर कैलादेवी में गूंजे माता के जयकारे, करीब 2 लाख पचास हजार श्रद्धालुओं ने लगाई धोक

Kaila devi Navratri fair:  उत्तर भारत के प्रसिद्ध प्रमुख शक्ति पीठों में शामिल कैलादेवी का चैत्र मास में लगने वाला वार्षिक लक्खी मेला पर आस्था का सैलाब उमड़ा हुआ है. मेले में लाखों की तादाद में श्रद्धालु माता के दरबार में धोक लगाने पहुंचे है. 

करौली में अष्टमी पर कैलादेवी में गूंजे माता के जयकारे, करीब 2 लाख पचास हजार श्रद्धालुओं ने लगाई धोक

Kaila devi Navratri fair:  उत्तर भारत के प्रसिद्ध प्रमुख शक्ति पीठों में शामिल कैलादेवी का चैत्र मास में लगने वाला वार्षिक लक्खी मेला अपने पूरे परवान पर चल रहा है. दुर्गाष्टमी पर सुबह 3 बजे से ही श्रद्धालुओं की कतारें लग गई माता के जयकारे लगाते श्रद्धालु आगे बढ़ रहे हैं और माता के दर्शन कर खुशहाली की मनौती मांगी. माता के दरबार में श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ के कारण करीब 1 घंटे बाद माता के  तदर्शन हो रहे हैं. मेले में माता के भक्तों का भारी सैलाब उमड़ रहा है.

कब  से कब तक चलेगा मेला
19 मार्च से 4 अप्रैल तक चलने वाले मेले में राजस्थान के अतिरिक्त करीब आधा दर्जन राज्यों से 50 लाख से अधिक श्रद्धालु कैला मां के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. वहीं मेले के दौरान अब करीब 35 लाख से अधिक भक्त मां के चरणों में अपनी हाजरी लगा चुके हैं.

मेले में सर्वाधिक भीड़ दुर्गाष्टमी एवं राम नवमी को रहती है जिसमें दो दिनों में ही करीब 8 लाख श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. मेले में राजस्थान के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा आदि प्रांतों के श्रद्धालु भी भारी संख्या में आते हैं. मेले में ट्रेन व बस के अतिरिक्त बड़े पैमाने पर पैदल यात्रियों का जत्था भी कैला मैया के द्वार पहुंचता है. कई श्रद्धालु हाथों में ध्वजा लेकर पैदल ही माता के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं.

इस दौरान नवविवाहित जोड़े, बच्चे के जन्म और घर में कोई भी शुभ काम होने पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता की जात करने पहुंच रहे हैं. मेले में कानून व्यवस्था के लिए पुलिस के 1250 कर्मियों को तैनात किया गया है वहीं मेले में हिंडौन व करौली सहित अन्य आगारों की करीब 320 रोडवेज बसों को भी लगाया गया है.  मेले में जगह जगह चूड़ी छल्लों और अन्य सामानों की दुकानें सजी हैं तो साथ ही खाद्य सामग्री, चाय रेस्टोरेंट, मिठाई, खिलौने, मनोरंजन करने वाले, झूले - चाकरी व खेल-तमाशा दिखाने वाले भी जमे हैं.

कालीसिल की नदी की  आस्था 
कैलादेवी में बहने वाली कालीसिल की नदी से भी लोगों की अटूट आस्था जुडी हुई है. ऐसा माना जाता है कि कालीसिल नदी में स्नान करने के बाद दर्शन करने से ही कैला माता प्रसन्न होती है और देवी का जात पूरी होती है. इसी के चलते कैलादेवी मेले में आने वाले अधिकांश यात्री माता के दर्शनों से पूर्व कालीसिल नदी में स्नान कर स्वयं को पवित्र करते हैं.

कैलादेवी माता के दर्शनों के आने वाले भक्तों में हर उम्र के लोग शामिल होते हैं. दुध पीते बच्चों से लेकर 100 वर्ष तक की उम्र के भक्त माता का जयकारा लगाते हुए निरंतर आगे बढते हैं. इनमें बच्चे, युवक-युवती, महिला पुरूष शामिल रहते हैं. कैलादेवी के भक्तों में मान्यता है कि घर में बच्चे के जन्म के बाद प्रथम बार कैलादेवी में ही बच्चे का मुण्डन कराकर मां को बाल समर्पित किए जाते हैं. इसके अतिरिक्त बडे बुजुर्ग व युवा भी मनौती पूरी होने पर अपने बाल मां के चरणों में समर्पित कर मुण्डन कराते हैं.

मां के भक्तों में पीढियों से ऐसी भी मान्यता है कि घर में बेटे की शादी के बाद आने वाले पहले चैत्र मेले में नवविवाहित पति-पत्नी का जोडा मां के दरबार में आर्शीबाद लेने पहुंचता है. जब तक पूरा परिवार मां के दर्शनों की जात करने नहीं पहुंचता है तब तक घर का कोई सदस्य माता के मंदिर में अकेले दर्शनों को नहीं जाता है.

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