महिला किसान ने पनपाया 4 हेक्टर में अनार का बगीचा, आप भी ऐसा करके कमा सकते हैं लाखों
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महिला किसान ने पनपाया 4 हेक्टर में अनार का बगीचा, आप भी ऐसा करके कमा सकते हैं लाखों

अधिकारियों की सलाह पर राज्य व केंद्र सरकार की योजना का लाभ उठाते हुए अपने 4 हैक्टर में अनार का बागीचा लगाया.

4 हैक्टर में अनार का बागीचा लगाया गया

Jodhpur: प्रदेश खासकर मारवाड़ में गिरते भूजल स्तर (Groundwater level) के बाद अब किसानों ने भी पारंपरिक खेती को छोड़ कर बागवानी पर जोर दिया है. ऐसी ही एक प्रगतिशील महिला ने बूंद-बूंद सिंचाई का इस्तेमाल कर अपने खेत में कृषि विभाग (Agriculture Department) के अधिकारियों की सलाह पर राज्य व केंद्र सरकार की योजना का लाभ उठाते हुए अपने 4 हैक्टर में अनार का बागीचा (pomegranate garden) लगाया.

अब इस बगीचे से किसान (Farmer) को करीब 16 लाख की आमदनी होने की उम्मीद है. जोधपुर जिले (Jodhpur News) के भोपालगढ़ के कुड़ी गांव निवासी प्रगतिशील महिला किसान सुखीदेवी डूडी पत्नि पेमाराम डूडी ने बताया कि खेतों से व्यर्थ बहते हुए बरसात के जल को संचय करने के लिए सामुदायिक फार्म पौण्ड (Community Farm Pound) का कुछ वर्षों पहले निर्माण करवाया. इसके बाद सौर ऊर्जा संयत्र (solar power plant) स्थापित किया. बारिश से पौण्ड में जल की आंवक अच्छी हो रही है.

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खरीफ व रबी सिचिंत फसलों की बुवाई चलती गई. एक दिन कृषि व उद्यान विभाग अधिकारी से सरकारी योजनाओं (government schemes) पर विस्तृत जानकारी ली. कृषि पर्यवेक्षक रफीक अहमद कुरैशी (Rafiq Ahmed Qureshi) ने बागवानी खेतीं की पद्धति एवं लाभ के बारे मे सलाह देते हुए बताया कि मिट्टी व पानी की जांच करवा कर यदि अनुकूल रीपार्ट आती है तो बूंद-बूंद सिचांई पद्धति को अपनाते हुए सफल बागवानी खेतीं का लाभ लिया जा सकता है. 

अनार की खेती को आजमाया
इसके बाद उसने अनार की खेती (Pomegranate Farming) को आजमाया. यही सोच कर तीन वर्ष पूर्व चार हजार अनार के पौधे उद्यानिकी विभाग (Horticulture Department) की सलाह अनुसार स्थापित किए. कुल चार हेक्टर में अनार का बगीचा वर्तमान में स्थापित है. जो सफलतम पनपा है. इस बगीचे में ज्यादा जैविक पद्धति के अवयवों का उपयोग किया गया है. उद्यानिकी योजना में पौधौं पर अनुदान भी मिला. तीन वर्ष तक पौधे पनपने तक पौधे के बीच रिक्त स्थानों में अन्तराशस्य के रूप में खरीफ व रबी की फसलों का उत्पादन निरतंर मिलता रहा. 

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कम सिचाई जल में बागवानी खेती पनप गई
सबसे ज्यादा फायदा यह हुआ कि बूंद-बूंद सिचांई (Irrigation) पद्धति अपनाने से कम सिचाई जल में बागवानी खेती पनप गई. सिचांई बचत जल से सिचिंत खेतीं का अतिरिक्त लाभ हुआ. आज एक पौधे पर अनुमानित दस किलोग्राम फल प्रति पौधे से मिलने की उम्मीद है. प्रति पौधा चार सौ रूपये आय देता है तो कुल चार हजार पौधौं से सौलह लाख की आय दिसंबर महिने में होने उम्मीद है.

अधिकरियों ने भी किसान भाईयों को दी सलाह
उद्यान विभाग की सलाह पर आज किसान बगीचे से अच्छी आमदनी ले रहे हैं. यह योजना काफी उपयोगी साबित हो रही है. अधिकारी भी लगातार यहां अनार बगीचे का निरीक्षण कर बागवानी की उपयोगी उन्नत तकनीकी जानकारी से किसानों (Farmers) को लाभान्वित भी करते रहे. यह बागवानी खेती जीवन में आय का सर्वोत्तम स्त्रोत होने जा रहा है. अधिकरियों ने भी किसान भाईयों को सलाह दे रहे हैं कि वह सरकारी योजना का लाभ लेकर मुनाफे की खेती पर जोर दे ताकि उनकी आय तो बढ़े, साथ ही भूमिगत सिचांई जल नलकूपों में काफी गहराई में जाना व सिचांई जल की कमी को देखते हुए यदि बागवानी खेतीं को प्राथमिकता देंगे तो निश्चित रूप से भविष्य मे खेतीं आय का लाभ होगा.

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अब कृषि विभाग के किसानों से अनार के साथ नीबूं, बेर, आंवला व नवाचार में खजूर की खेतीं क्षेत्र के किसान भाईयों में जानकारी साझा कर रहे हैं ताकी बागवानी खेतीं को और अधिक बढ़ावा मिले. उद्यान विभाग से राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना (National Horticulture Mission Scheme) में नवीन बगीचा स्थापित करने पर अनुदान की सुविधा भी मिल रही है. जुलाई-अगस्त माह पौधारोपण का उपयुक्त समय होता है. नवाचार खजूर की खेंती पर भी सरकार काफी अनुदान दे रही है. ऐसे में किसानों को अब आगे आकर बागवानी पर जोर देने को जरूरत है.
Report- Bhawani bhati

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