Pali: जसनाथ जी महाराज की 66वीं बरसी आयोजित, हजारों संतों ने लिया भाग
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Pali: जसनाथ जी महाराज की 66वीं बरसी आयोजित, हजारों संतों ने लिया भाग

रात को संतों द्वारा विशाल रात्रि जागरण का आयोजन हुआ, जिसमें संतों ने एक से बढ़कर एक भजनों की प्रस्तुतियां पेश की और ज्ञान चर्चा भी की संतों ने भजन संध्या में धर्म के बारे में विस्तार से चर्चा की. 

महंत नारायण नाथ महाराज ने कहा कि धर्म के कार्यों में आम लोगों को बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए.

Jaitran: पाली जिले के जैतरण उपखंड के रास गांव में जसनाथ जी महाराज की 66वीं बरसी का धार्मिक कार्यक्रमों के साथ आयोजन हुआ, जिसमें भरतरी बैराग के सभी संत ने कार्यक्रम में भाग लिया.

जोधपुर दरबार के राजगुरु पीर कैलाश नाथ जी महाराज, पालासनी राम नाथ जी महाराज, खेड़ा मंगल नाथ जी महाराज, राता ढूंढा, लक्ष्मण नाथ जी महाराज, सेवा नाथ जी महाराज, निवाई राहुल जी और नाथ संप्रदाय के हजारों संतों ने जसनाथ जी महाराज की बस्ती में भाग लेने के लिए राजमंडी पहुंचे.

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रात को संतों द्वारा विशाल रात्रि जागरण का आयोजन हुआ, जिसमें संतों ने एक से बढ़कर एक भजनों की प्रस्तुतियां पेश की और ज्ञान चर्चा भी की संतों ने भजन संध्या में धर्म के बारे में विस्तार से चर्चा की. सुबह परिसर में हवन का आयोजन किया गया. वैदिक मंत्रोचार के साथ यजमान और संतों ने आहूतियां देकर देश और प्रदेश में खुशहाली की कामना की. 

सरपंच देवकरण गुर्जर निंबोल, सरपंच अशोक सोलंकी, राज सरपंच प्रतिनिधि रामदेव पंचायत समिति सदस्य दयाल गुर्जर, पूर्व प्रधान अमराराम माली, पूर्व संसदीय सचिव दिलीप चौधरी ने भाग लिया और संतों का आशीर्वाद लिया और नाथ संप्रदाय की परंपराओं को आगे बढ़ाने के लिए आह्वान किया और इस मौके पर महंत नारायण नाथ महाराज ने कहा कि धर्म के कार्यों में आम लोगों को बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए.

धर्म के कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए आम लोगों का सहयोग जरूरी है और कहा कि धर्म के कार्य में भाग लेकर अपने गाड़ी कमाई काकूची सा परमार्थ के कार्य में व धर्म के कार्य में लगाने से धन बढ़ता है और पुण्य की प्राप्ति होती है. उन्होंने कहा कि आज धर्म जिंदा है तो संस्कृति जिंदा है. जिस दिन संस्कृति नष्ट हो जाएगी, उस दिन लोग धर्म के प्रति आस्था नहीं रहेगीय आस्था ही सही मनुष्य को सही मार्ग दिखाती है. आज लोगों में धर्म की प्रति आस्था कम होने से गायों की दशा खराब हो गई है. गायों में 36 करोड़ देवी देवताओं का वास होता है और गायों की सेवा कभी भी व्यर्थ नहीं जाती है. बाद में भंडारे का आयोजन हुआ, जिसमें सैकड़ों संतों ने भाग लिया और बड़ी संख्या में आसपास जिलों के लोगों ने भाग लिया.

रिपोर्टर - सुभाष रोहिसवाल

 

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