हाईटेंशन लाइट के तारों में उलझ कर प्रवासी पक्षी घायल, रेस्क्यू कर माचिया भेजा
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हाईटेंशन लाइट के तारों में उलझ कर प्रवासी पक्षी घायल, रेस्क्यू कर माचिया भेजा

जोधपुर जिले के बिलाड़ा उपखंड के तिलवासनी के नजदीक कानजी मून्द की ढाणी के पास सिलारी रोड पर एक विशालकाय प्रवासी पक्षी डालमेशियन पेलिकन हाईटेंशन लाइट के तारों के चपेट में आने से घायल हो गया.

हाईटेंशन लाइट के तारों में उलझ कर प्रवासी पक्षी घायल, रेस्क्यू कर माचिया भेजा

Jodhpur: जोधपुर जिले के बिलाड़ा उपखंड के तिलवासनी के नजदीक कानजी मून्द की ढाणी के पास सिलारी रोड पर एक विशालकाय प्रवासी पक्षी डालमेशियन पेलिकन हाईटेंशन लाइट के तारों के चपेट में आने से घायल हो गया.

पर्यावरण प्रेमी सामाजिक कार्यकर्ता लक्ष्मण बिश्नोई चिरढाणी ने बताया कि पेलिकन प्रजाति का बड़ा पक्षी हाईटेंशन लाइट के तारों के चपेट में घायल होने की सूचना स्थानीय वन्य जीव प्रेमी जगदीश भगवान राम मुन्द ने दी और बताया कि एक विचित्र प्रजाति का पक्षी घायल अवस्था में सड़क पर पड़ा है. क्षेत्र में इस तरह का यह पहला घायल पक्षी मिला, जिसको लेकर आसपास के लोग भी मौके पर इकट्ठा हो गए.

जीव रक्षा के जिला उपाध्यक्ष लक्ष्मण बिश्नोई ने मौके पर पहुंचकर वन विभाग के पक्षी विशेषज्ञ डा श्रवण सिंह से वार्ता करके घायल पक्षी को वन विभाग के कर्मचारी रामचंद्र चौधरी के साथ जोधपुर स्थित माचिया रेस्क्यू सेंटर भिजवाया. पेलिकन पक्षी पृथ्वी के सबसे बड़े समुद्री पक्षियों में से एक पक्षी है. भारत में यह पेलिकन पक्षी उत्तर-पश्चिम क्षेत्रों मुख्यत गुजरात में कच्छ व इसके आसपास काफी संख्या में आते हैं.

ये मुख्यता साइबेरिया और पूर्वी यूरोप से जब यहां बर्फ पड़ने लगी है, तो हजारों किलोमीटर उड़ान भरकर प्रजनन व भोजन के लिए भारत में आते हैं. शीत ऋतु की दस्तक के साथ ही इस पक्षी का भारत में आना आरंभ हो जाता है. यह पक्षी प्रवास के दौरान तीन हजार किलोमीटर की ऊंचाई तक ''वी'' आकार में उड़ कर यहां आते है. पेलिकन पक्षी इस धरती पर मौजूद सभी और सबसे बड़े समुद्री पक्षियों में से एक है.

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पेलिकन पक्षी का वजन करीबन 9 किलोग्राम से 16 किलोग्राम तक भी होता है. पेलिकन पक्षी का इतना वजन होने के बावजूत भी यह पक्षी तेज़ गति से भी उड़ सकता है. विश्नोई ने बताया कि यह पक्षी अंधेरा होने के कारण हाईटेंशन लाइट के तारों की चपेट में आ गया और इसके पंख के अंदर गहरा घाव होने तथा उड़ने में असमर्थ होने के कारण इस पक्षी को प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टरों की निगरानी के लिए जोधपुर भिजवाया गया.

इस दौरान पुखराज जाणी पीटीआई, जगदीश, भगवान मुन्द मोजुद रहे . माचिया के डॉ ज्ञान प्रकाश ने बताया कि डालमेशियन पेलिकन घायल अवस्था में पाया गया था. जिसे बिलाड़ा क्षेत्र की रेस्क्यू टीम ने माचिया जैविक उद्यान के अंतर्गत संचालित रेस्क्यू सेंटर पहुंचाया. रात्रि में प्राथमिक उपचार दिया गया. गुरुवार सुबह वन्यजीव चिकित्सक डॉ. ज्ञान प्रकाश ने विस्तृत जांच की तो पाया की उसके बाएं पंख में काम्पाउंड फ्रैक्चर है और घाव बुरी तरह से संक्रमित है.

एसी स्थिति में शल्य क्रिया से उसके टूटे पंख को ऐम्प्युटेशन किया गया. शल्य क्रिया के बाद रेस्क्यू सेंटर में मौजूद कृत्रिम तालाब में छोड़ा गया. शल्य क्रिया में वन्यजीव चिकित्सा सहायक महेंद्र गहलोत और रेस्क्यू सेंटर के अन्य वन कर्मचारियों का सहयोग रहा. वन विभाग का कार्य अधिक होने व कर्मचारियों की कमी के चलते परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, तिलवासनी, लांबा व बाला सहित विभिन्न गांवों में वन्यजीव हिरणो की तादाद ज्यादा होने से आये दिन घटना व दुर्घटना होती रहती हैं इस कारण समय पर उपचार नहीं मिलने पर वन्यजीवों की मौत हो जाती हैं. अनेक बार वन्यप्रेमी ने कर्मचारी की कमी के चलते विभाग व सरकार को ज्ञापन देकर अवगत भी करवा चुके हैं.

Reporter- Arun Harsh

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