घोड़ी के बजाय इस जानवर पर चढ़े दो दूल्हे, घरों की छतों से देखने आई महिलाएं
Advertisement

घोड़ी के बजाय इस जानवर पर चढ़े दो दूल्हे, घरों की छतों से देखने आई महिलाएं

 इस अनोखी शादी को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी

इस जानवर पर चढ़े दो दूल्हे

Jodhpur: राजस्थान के जोधपुर (Jodhpur News) के भोपालगढ़ में एक अनोखी शादी देखने को मिली है, जहां पर दलित दूल्हे की बारात हाथी पर चढ़ी. इस अनोखी शादी को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ गई, जहां एक ओर आज भी प्रदेश के कई इलाकों में दलित दूल्हों को घोड़ी से उतारने की घटनाएं यदा-कदा सामने आती रहती है, तो वहीं दूसरी ओर जोधपुर जिले के भोपालगढ़ कस्बे में शनिवार को साटिया जाति के दो दलित दूल्हों की एक साथ चढ़ी बारात चर्चा का विषय बन गई. यहां साटिया जाति के रिश्ते में दो भाइयों की बारात एक साथ तो चढ़ी ही, इसके साथ ही बारात में हाथी के साथ-साथ ऊंट, घोड़े और आकर्षक बग्गियां भी शामिल की गई. ऐसे में जब यह बारात कस्बे के बस स्टैंड (Bus Stand) से होकर निकली तो हर कोई इसे देखने के लिए आतुर खड़ा नजर आया.

यह भी पढ़ें - हेमाराम चौधरी ने Sachin Pilot के लिए दिया दिल छूने वाला बयान

प्राप्त जानकारी के अनुसार भोपालगढ़ (Bhopalgarh) कस्बे में दलित समाज (Dalit Society) से आने वाले साटिया जाति के कई परिवार निवास करते हैं और यह लोग अपने घर-परिवार में होने वाले शादी-समारोह, औसर-मौसर एवं अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में अपनी शानो-शौकत दिखाने के साथ-साथ, बेतहाशा पैसा खर्च करने के लिए भी जाने जाते हैं.

इन दोनों दूल्हों की शाम को अनोखे तरीके से बारात निकाली गई
शनिवार को भी साटिया जाति के दो युवाओं नत्थू पुत्र बाबूलाल एवं महेंद्र पुत्र तुलछाराम की शादी थी, जिसके लिए इन दोनों दूल्हों की शाम को अनोखे तरीके से बारात निकाली गई. इस दौरान जहां दोनों दूल्हों को जयपुर (Jaipur) से विशेष रूप से मंगवाए गए हाथी पर बिठाया गया, तो वहीं परिवार के अन्य लोगों ने ऊंट, घोड़ों और नागौर से मंगवाई गई खास बग्गियों में सवारी की. इसके साथ ही डीजे पर तेज आवाज में गूंजते शादी के गीतों पर नाचने के लिए भी जयपुर से विशेष नृत्य कलाकारों (Dance Artists) की टीम बुलाई गई थी और इनके पीछे करीब दो-तीन दर्जन छोटे-बड़े वाहनों का लंबा काफिला भी था.

यह भी पढ़ें - जानिए Barmer के बायतू में जन्मे हेमाराम चौधरी के जीवन की रोचक कहानी

बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी घरों के बाहर आ गए
ऐसे में जब शाम करीब 4:30 बजे यह हाथी-घोड़ों से सजी-धजी बारात नाचते-गाते हुए भोपालगढ़ कस्बे के बस स्टैंड सहित विभिन्न इलाकों से गुजरी तो हर कोई अपना कामकाज छोड़कर इस अनूठी बारात को देखने लगा. यहां तक कि कस्बे के जिस भी गली-मोहल्ले से यह बारात गुजरी वहां के बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी घरों के बाहर आ गए और कईयों ने तो घर की छतों पर चढ़कर इस अनूठी बारात के नजारे को देखा. साटिया परिवार से जुड़े किसनाराम ने बताया कि आपस में भाई बाबूलाल व तुलछाराम के बेटों महेंद्र व नत्थू की यह बारात नागौर (Nagaur) जिले के रोल गांव गई है.

दिखावे की होड़ में करते हैं खूब खर्च 
बता दें कि भोपालगढ़ कस्बे में बसने वाले साटिया जाति के दलित समुदाय में आमतौर पर हंसी-खुशी और गम आदि से जुड़े सभी प्रकार के सामाजिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर पैसा खर्च करने और शानो-शौकत दिखाने की परिपाटी रही है और इसी के चलते ये लोग हर बार एक-दूसरे से कुछ न कुछ ज्यादा करने की होड़ में लगे रहते हैं. यह सामाजिक कार्यक्रमों में भी जमकर पैसा खर्च करते हैं. यहां रहने वाले साटिया जाति के ज्यादातर परिवार पशुओं के व्यापार का काम करते हैं और ग्रामीण इलाकों से बछड़े-बछड़िया व ऊंट आदि खरीदकर आस-पास के मेलों में बेचने का काम करते है. इसके साथ ही ये लोग दूसरे समाज के लोगों को भी मोटे ब्याज पर पैसा उपलब्ध करवाने यानी एक तरह से फाइनेंस (Finance) का काम भी करते हैं और इस तरह ये लोग व्यापार व फाइनेंस के धंधे में मोटी कमाई भी करते है, जिसके बाद इनके परिवार में कोई सामाजिक कार्यक्रम होता है, तो दिखावे की होड़ में खूब खर्च करते हैं.

Trending news