कुदरत का अजीब करिश्मा, एक ही चिता पर मां-बेटे का अंतिम संस्कार, कहानी जान नहीं थमेंगे आंसू
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कुदरत का अजीब करिश्मा, एक ही चिता पर मां-बेटे का अंतिम संस्कार, कहानी जान नहीं थमेंगे आंसू

जयपुर ज़िले के चाकसू उपखंड के बडली गांव में कुदरत का अजीब करिश्मा हुआ, जंहा पहले बेटे की मौत हो गई जिसे परिजन दाह संस्कार के लिए श्मशान में लेकर गए ही थे कि कुछ देर बाद मां ने भी दुनियां छोड दी

एक ही चिता पर मां व बेटे का अंतिम संस्कार

 

Chaksu: जयपुर ज़िले के चाकसू उपखंड के बडली गांव में कुदरत का अजीब करिश्मा हुआ, जंहा पहले बेटे की मौत हो गई जिसे परिजन दाह संस्कार के लिए श्मशान में लेकर गए ही थे कि कुछ देर बाद मां ने भी दुनियां छोड दी. दोनों का साथ में दाह संस्कार हुआ. 

चाकसू उपखंड के बडली गांव में कुदरत का अजीब करिश्मा हुआ जंहा पहले बेटे की मौत हो गयी जिसे परिजन दाह संस्कार के लिए श्मशान में लेकर गए ही थे कि कुछ देर बाद मां ने भी दुनियां छोड दी दोनों का साथ में दाह संस्कार हुआ. इस घटना को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे है कोई इसे मा व बेटे का प्रेम बता रहा है तो कोई कुदरत का अजीब करिश्मा. इस घटना की चाकसू में ही नही बल्कि आस-पास के क्षेत्र में जोरो से चर्चा है.

गौरतलब है कि क्षेत्र की ग्राम पंचायत बड़ली में अचानक लक्ष्मीनारायण जाट उम्र 75 साल की आकस्मिक मोत हो गई, जिसके अन्तिम संस्कार के लिए लक्ष्मीनारायण के घर पर रिश्तेदार जमा हो गए और उसे ज्योही शमशान घाट ले गए, यह मंजर देखकर मृतक लक्ष्मीनारायण की मां गुल्ली देवी जाट जिसकी उम्र 95 साल थी जो पूरी तरह स्वस्थ थी उसने भी बेटे की मौत के कुछ समय बाद दम तोड़ दिया उस वक्त घर पर सिर्फ महिलाए ही जमा थी. रिस्तेदार व ग्रामीण म्रतक बेटे लक्ष्मीनारायण के अंतिम संस्कार में गए हुए थे.

अचानक घर में हुई दूसरी मौत की खबर महिलाओं ने फोन पर परिजनों को दी तो उन्होंने बेटे की अंतिम संस्कार को रोक दिया और परिवार के लोग वापस घर पर आए और धार्मिक रीति रिवाजों की रस्म को पूरा करके गुल्ली देवी को श्मशान ले गए और एक ही चिता पर मा व बेटे का अंतिम संस्कार किया. मा व बेटे की इस तरह की एक साथ मौत होना व एक चिता पर अंतिम संस्कार के दौरान लोग अपने आसुओ को रोक नहीं पाए. 

जानकारी अनुसार असल में गुल्ली देवी मृतक लक्ष्मीनारायण की मां नहीं होकर काकी थी लेकिन इसके पुत्र नहीं होने से इसमे लक्ष्मीनारायण को गोद ले लिया था जो इसका दत्तक पुत्र था. वहीं ग्रामीणों ने बताया कि लक्ष्मीनारायण जाट ने अपनी माँ गुल्ली बाई की सगे बेटे से भी ज्यादा सेवा की थी. इस 75 साल की उम्र में भी मां को अपने हाथों से खाना खिलाता था उसकी दवाइयों से लेकर दैनिक कार्य भी स्वयं अपने हाथों से करता था शायद विधाता ने अपने पास दोनों मां-बेटे को एक साथ बुलाकार ऊपर भी सेवा करने का मौका दिया है.

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Report- Amit Yadav

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