Weather system : किसानों की चिंता को लेकर जयपुर मौसम विभाग ने नई कार्यप्रणाली पर काम करने की कवायद की है. मौसम विभाग प्रदेशभर के किसानों को लोकल नेटवर्क से जोड़ने की तैयारी कर रहा है.
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Weather system : प्रदेशभर में बौमौसम बरसात की मार से लाखों की फसले खरब होने से किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरे साफ देखी जा सकती है. किसानों की चिंता को लेकर जयपुर मौसम विभाग ने नई कार्यप्रणाली पर काम करने की कवायद की है. मौसम विभाग प्रदेशभर के किसानों को लोकल नेटवर्क से जोड़ने की तैयारी कर रहा है. जिससे किसानों को समय रहते ओलावृष्टि, बारिश और आंधी की सटीक सूचना तय समय पर मिल जाया करे.
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राजधानी स्थित मौसम केंद्र में शनिवार को 'वेदर फोरकास्ट और अर्ली वार्निंग सिस्टम' जयपुर के मौसम विभाग में एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया. जिसमें शामिल हुए निदेशक राधेश्याम शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि विभाग जल्द ही एक वॉट्सऐप ग्रुप के जरिए प्रदेश के 10 लाख से ज्यादा किसानों को एक साथ जोड़ कर उन्हें मौसम के पूर्वानूमान की जानकारी पहले से दे दें. मौसम विभीग की इस वर्कशॉप में आपदा प्रबंधन एवं राहत मंत्री गोविंद राम मेघवाल भी मौजूद रहे.
ऑटोमैटिक वेदर सिस्टम से मिलेगी जानकारी
बता दें कि जयपुर मौसम केंद्र में ऑटोमैटिक वेदर सिस्टम भी लगाया हुआ है. जिससे अधिकतम और न्यूनतम तापमान मापने, बारिश का मेजरमेंट, विंड डायरेक्शन, स्पीड सहित वातावरण में नमी की रिपोर्ट तैयार होती है. ये रिपोर्ट 15 मिनट में तैयार होकर मौसम केंद्र के सर्वर पर अपलोड होकर वेबसाइट पर आ जाती है. इसे कोई भी व्यक्ति वेबसाइट पर देख सकता है.
10-15 साल से सटीक होने लगी मौसम की भविष्यवाणी
मौसम केंद्र दिल्ली के डिप्टी जनरल मैनेजर चरण सिंह ने बताया कि ज्यादातर लोग मैसम को लेकर कहते है कि मौसम विभाग की तरफ से जारी अलर्ट सच नहीं होता है. लेकिन, पिछले 10-15 साल से मौसम विभाग की भविष्यवाणी बहुत ज्यादा सटीक होने लगी है. लेकिन बीते दिनों में लगातरा मौसम विभाग ने इन पर काम करते हुए ग्लोबल लेवल पर मिले करंट और पुराने डेटा का एनालिसिस करके की वह अब मौसम के बारे में भविष्यवाणी करता है. एक से तीन महीने तक की भविष्यवाणी करंट और पुराने डेटा पर निर्भर होती है.
बेमौसम से बरसात की मार
गौरतलब है कि मार्च में बारिश और ओलावृष्टि ने प्रदेशभर में किसानों की फसल खराब कर दी. अगर किसान को मौसम विभाग से पहले पता चल जाता तो फसल तबाही कम होती. कई जगह तो दो से चार बार तक बारिश के साथ ओले गिरे है. इससे चने और सरसों की करीब अस्सी फीसदी फसल खराब हो गई है. ओले गिरने से सरसों की फलियों के दाने बिखर गए. गेहूं की फसल आड़ी पड़ गई है. दाने काले पड़ने का डर है. जौ, चना और सरसों की फसल को भी नुकसान हुआ हैं. कई जगह तो इतने ओले गिरे की पूरी की पूरी फसल खराब हो गई.